रेलवे ने दिवाली और छठ के लिए भीड़ प्रबंधन की नई योजना बनाई

रेलवे भीड़ प्रबंधन
दिवाली भारत में मनाए जाने वाले सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस अवसर पर लोग अपने कार्यों से विराम लेकर अपने घरों की ओर लौटते हैं। दिवाली के बाद छठ पर्व आता है, जिसे विशेष रूप से उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग बड़े धूमधाम से मनाते हैं। ऐसे समय में रेलवे परिवहन का सबसे महत्वपूर्ण साधन बन जाता है।
छोटे रूटों पर राहत
यात्रियों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए, रेलवे ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब, डिपो में लंबे समय तक खड़ी रहने वाली स्लीपर बोगियों को आपातकालीन स्थिति में विशेष ट्रेनों के रूप में चलाया जा सकेगा। खासकर छोटे रूटों पर, इन बोगियों को अनारक्षित डिब्बों में परिवर्तित कर यात्रियों की सुविधा के लिए उपयोग किया जाएगा।
पहले भी लिया गया था फैसला
यह ध्यान देने योग्य है कि 2015 में भी रेलवे ने जोनल जनरल मैनेजर्स को स्लीपर क्लास के निष्क्रिय कोचों को जनरल कोच के रूप में चलाने की अनुमति दी थी। इसके अतिरिक्त, भीड़ को कम करने के लिए कुछ डी-रिजर्व्ड कोच भी जोड़े गए हैं, जहां यात्री स्टेशन से रीयल-टाइम टिकट खरीदकर यात्रा कर सकते हैं। हालांकि, वर्तमान में केवल 23 ट्रेनों में ही केरल में डी-रिजर्व्ड कोच उपलब्ध हैं।
स्टाफ की कमी बनी चुनौती
हालांकि, रेलवे की इस योजना के सामने सबसे बड़ी चुनौती स्टाफ की कमी है। वर्तमान में भारत में 18,799 असिस्टेंट लोको पायलट के पद खाली हैं, जिनमें से 726 रिक्तियां साउदर्न रेलवे में और 170 केवल केरल में हैं। इसी तरह, टीटीई और ट्रेन मैनेजर (गार्ड) के पदों पर भी स्टाफ की कमी है, जिससे नए कोच चलाने की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि स्लीपर कोचों को विशेष ट्रेनों के रूप में चलाने का निर्णय यात्रियों के लिए एक बड़ी राहत साबित होगा। भीड़भाड़ वाले जनरल डिब्बों में यात्रा करने वालों को अधिक विकल्प मिलेंगे, जिससे त्योहारी सीजन या भीड़भाड़ के समय रेल यात्रा और भी सुगम हो जाएगी।