लंदन में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर हमला: क्या है इसकी गंभीरता?

महात्मा गांधी की प्रतिमा पर तोड़फोड़ की घटना
Mahatma Gandhi statue London: लंदन के टैविस्टॉक स्क्वायर में महात्मा गांधी की प्रसिद्ध प्रतिमा के साथ हुई तोड़फोड़ ने भारत और वैश्विक समुदाय में चिंता का माहौल बना दिया है। यह घटना 2 अक्टूबर को गांधी जयंती और अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के ठीक पहले हुई। प्रतिमा के चबूतरे पर कुछ अपमानजनक चित्रकारी पाई गई, जिसके बाद भारतीय मिशन ने स्थानीय प्रशासन को तुरंत सूचित किया।
भारतीय उच्चायोग की प्रतिक्रिया
भारतीय उच्चायोग ने की निंदा
लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा, "यह केवल तोड़फोड़ नहीं है, बल्कि महात्मा गांधी की अहिंसा और उनकी विरासत पर एक गंभीर हमला है। हमारी टीम पहले से ही घटनास्थल पर मौजूद है और स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर मूर्ति को उसकी पूर्व गरिमा में लाने का प्रयास कर रही है।"
अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस का महत्व
महात्मा गांधी और अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस
संयुक्त राष्ट्र ने गांधी जयंती को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मान्यता दी है। हर साल 2 अक्टूबर को इस अवसर पर लंदन में स्थित स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है और गांधीजी के प्रिय भजनों के साथ उन्हें याद किया जाता है। इस वर्ष की घटना ने अहिंसा और गांधीजी के सिद्धांतों पर हमले की गंभीरता को उजागर किया है।
प्रतिमा का ऐतिहासिक महत्व
प्रतिमा का ऐतिहासिक महत्व
यह कांस्य प्रतिमा 1968 में इंडिया लीग के सहयोग से टैविस्टॉक स्क्वायर में स्थापित की गई थी। यह स्मारक उन दिनों की याद दिलाता है जब महात्मा गांधी पास के यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में कानून के छात्र थे। प्रतिमा के चबूतरे पर लिखा है: 'महात्मा गांधी, 1869-1948'। यह न केवल भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी को सम्मानित करता है, बल्कि लंदन में भारतीय संस्कृति और विरासत का प्रतीक भी है।
स्थानीय प्रशासन की कार्रवाई
स्थानीय अधिकारियों की कार्रवाई
मेट्रोपॉलिटन पुलिस और कैमडेन काउंसिल ने इस तोड़फोड़ की जांच शुरू कर दी है। भारतीय उच्चायोग ने भी कहा है कि उन्होंने स्मारक को जल्द से जल्द उसकी मूल स्थिति में लाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए हैं और स्थानीय प्रशासन के साथ लगातार समन्वय बनाए रखा है।