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लखनऊ एयरपोर्ट के नए टर्मिनल में छत से पानी टपकने की घटनाएं, सुरक्षा पर उठे सवाल

लखनऊ एयरपोर्ट के नए टर्मिनल T-3 में छत से पानी टपकने की घटनाएं सामने आई हैं, जो निर्माण कार्यों की गुणवत्ता और नागरिकों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाती हैं। यह स्थिति यात्रियों के लिए असुविधा और जोखिम का कारण बन रही है। जानें इस मुद्दे के पीछे की कहानी और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
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लखनऊ एयरपोर्ट की नई चुनौतियाँ

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक गंभीर स्थिति सामने आई है, जिसने निर्माण कार्यों की गुणवत्ता और नागरिकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। लखनऊ एयरपोर्ट के नए टर्मिनल T-3 की छत से पानी टपकने की घटनाएं सामने आई हैं, जबकि यह भवन केवल एक वर्ष पहले 2400 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुआ था। यह वही टर्मिनल है जिसका उद्घाटन बड़े दावों के साथ किया गया था, और अब यात्रियों को बाल्टी और टब के नीचे से गुजरना पड़ रहा है।


यात्रियों की शिकायतों के बाद यह मामला उजागर हुआ, जब बोर्डिंग हॉल के कई हिस्सों में पानी टपकता दिखा। कर्मचारियों ने तुरंत बाल्टियां और टब रखकर पानी को फर्श पर फैलने से रोकने का प्रयास किया। लेकिन सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी लागत से बने नए टर्मिनल की छत इतनी जल्दी कैसे टपकने लगी?


जहां एक ओर सरकारें बुलेट ट्रेन और आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर की बातें करती हैं, वहीं दूसरी ओर यह स्थिति दर्शाती है कि एक साल पुराना टर्मिनल भी मानसून का सामना नहीं कर सका। बारिश के मौसम में ऐसी लापरवाही यात्रियों के लिए असुविधा और जोखिम का कारण बन सकती है। एयरपोर्ट जैसी जगहों पर पानी टपकने से फिसलन, इलेक्ट्रिकल शॉर्ट सर्किट और यात्रियों के सामान को नुकसान पहुंचने का खतरा बना रहता है।


यह घटना केवल एक तकनीकी खामी नहीं है, बल्कि निर्माण कार्यों की निगरानी, गुणवत्ता नियंत्रण और ठेकेदारी व्यवस्था की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाती है। करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद अगर ढांचा टिकाऊ नहीं है, तो यह केवल पैसे की बर्बादी नहीं, बल्कि जनता के साथ धोखा भी है।