लखनऊ में फर्जी IAS सौरभ त्रिपाठी की कहानी: सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल

लखनऊ में फर्जी IAS का खुलासा
लखनऊ में फर्जी IAS: लखनऊ में पकड़े गए सौरभ त्रिपाठी की कहानी ने सरकारी सुरक्षा तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस के अनुसार, सौरभ खुद को कभी प्रदेश सरकार का विशेष सचिव और कभी केंद्र सरकार का सचिव बताकर सरकारी दफ्तरों और बैठकों में पहुंच जाता था। वह उन कार्यक्रमों में भी शामिल होता था, जहां केवल विभागीय अधिकारी ही उपस्थित होते थे। इन घटनाओं के वीडियो और तस्वीरें वह सोशल मीडिया पर साझा कर अपनी पहचान को मजबूत करता था।
पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने सौरभ को वजीरगंज क्षेत्र में चेकिंग के दौरान कारगिल शहीद पार्क के पास गिरफ्तार किया। उसके पास से कई फर्जी आईडी कार्ड, विजिटिंग कार्ड, लैपटॉप, नकली सचिवालय पास, NIC की मेल आईडी, डायरी और 11,000 रुपये नकद बरामद हुए। पुलिस का कहना है कि उसके दस्तावेजों का जाल इतना बड़ा है कि हर पहलू पर जांच चल रही है।
सौरभ का लाइफस्टाइल
जांच में खुलासा: सौरभ का जीवनशैली किसी वरिष्ठ अधिकारी की तरह थी। उसके पास डिफेंडर, फॉर्च्यूनर, इनोवा और मर्सिडीज जैसी 6 लग्जरी गाड़ियाँ थीं। सभी गाड़ियों पर सचिवालय पास, भारत सरकार या उत्तर प्रदेश शासन लिखा था, जो बाद में फर्जी साबित हुए। वह बिजनेस मीटिंग में डिफेंडर, विभागीय मीटिंग में फॉर्च्यूनर और धाक जमाने के लिए मर्सिडीज का इस्तेमाल करता था। उसके साथ निजी सुरक्षा गार्ड भी होते थे, जिनमें से एक पुलिस की वर्दी में था। अब यह जांच की जा रही है कि उसे यह वर्दी और सुरक्षा कैसे मिली।
सरकारी अधिकारियों से गिफ्ट
सरकारी अधिकारियों से लिए गिफ्ट: सौरभ ने कई बड़े नामों के साथ तस्वीरें खिंचवाकर सोशल मीडिया पर साझा कीं, जिनमें कथावाचक प्रेमभूषण महाराज, कुछ मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। इससे लोग मान लेते थे कि वह वास्तव में उच्च पद पर तैनात है। पूछताछ में सौरभ ने स्वीकार किया कि उसने यूपी में ठगी की और अन्य राज्यों में सरकारी अधिकारियों से गिफ्ट लिए। यूपी से बाहर वह खुद को केंद्र का अधिकारी बताता था।
नेटवर्क का विस्तार
इन जगहों तक फैला नेटवर्क: सौरभ का नेटवर्क उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और दिल्ली तक फैला हुआ था। वह लोगों से कहता था कि जल्द ही यूपी कैडर में वापसी होगी और किसी महत्वपूर्ण विभाग में तैनाती मिलेगी। इसके बदले में वह अटके काम कराने का वादा कर पैसे लेता था। उसने गोमतीनगर विस्तार के शालीमार वन वर्ल्ड में फ्लैट लिया था, जहां पड़ोसियों को कभी शक नहीं हुआ कि वह फर्जी है। उसका स्थायी पता मऊ और दूसरा पता नोएडा बताया गया। वजीरगंज थाने के प्रभारी निरीक्षक राजेश कुमार त्रिपाठी ने कहा कि आरोपी से हर पहलू पर पूछताछ की जा रही है और कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिली हैं। पुलिस अब पूरे गिरोह, दस्तावेजों के स्रोत और उससे लाभ उठाने वालों की पहचान पर काम कर रही है।