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लद्दाख में बढ़ती हिंसा: प्रदर्शनकारियों की मांगें और राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

लद्दाख में हालिया हिंसा ने स्थिति को गंभीर बना दिया है। प्रदर्शनकारियों ने चार मुख्य मांगें उठाई हैं, जिनमें लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा शामिल हैं। इस बीच, राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ भी तेज हो गई हैं, जिसमें भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप हो रहे हैं। जानें इस जटिल स्थिति के पीछे की सच्चाई और स्थानीय लोगों की भावनाएँ।
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लद्दाख में हिंसा का बढ़ता संकट

2019 में धारा 370 के हटने के बाद लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिलने पर वहां जश्न मनाया गया था। यह लद्दाखवासियों की एक प्रमुख मांग थी कि उन्हें जम्मू-कश्मीर से अलग किया जाए, क्योंकि वहां की सरकारों ने उनके साथ कभी न्याय नहीं किया। लेकिन अब लद्दाख में हिंसा की घटनाएँ बढ़ गई हैं। प्रदर्शनकारियों ने भाजपा कार्यालय और अन्य सरकारी भवनों को आग के हवाले कर दिया है। इस हिंसा में चार लोगों की मौत और 30 से अधिक लोग घायल हुए हैं।


प्रदर्शनकारियों की चार मुख्य मांगें हैं: लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा, संविधान की छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा, कारगिल और लेह के लिए अलग-अलग लोकसभा सीटें, और पूर्वी उत्तर प्रदेश के राज्यों की तरह विशेष अधिकार।


समाजसेवी वांगचुक सहित कई लोग लद्दाख एपेक्स बॉडी के झंडे तले पिछले कुछ दिनों से आंदोलन कर रहे थे। केंद्र सरकार ने इन मांगों पर विचार करने के लिए आंदोलनकारियों को 6 अक्टूबर को दिल्ली बुलाया था, लेकिन अचानक हुई हिंसा ने सब कुछ बदल दिया।


लद्दाख बंद के आह्वान के बीच कुछ प्रदर्शनकारी धरनास्थल से बाहर निकल आए और नारेबाजी करने लगे। उनके चेहरे पर मास्क थे और हाथ में मोबाइल थे। स्थिति तेजी से नियंत्रण से बाहर हो गई, और सीआरपीएफ कर्मियों और पुलिस पर भी हमले हुए। इस हिंसा के वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैलने लगे और इसे लद्दाख के 'जेन जी' आंदोलन का नाम दिया गया। यह घटनाक्रम इस बात का संकेत है कि हिंसा को जानबूझकर भड़काया गया। सरकार भी मानती है कि कुछ तत्व लद्दाख की शांति को बाधित करने के लिए युवाओं को भड़का रहे हैं।


उपराज्यपाल ने प्रदर्शन और हिंसा के पीछे साजिश की आशंका जताई है। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि यह कांग्रेस की साजिश है। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी युवाओं को भड़काने का प्रयास कर रहे हैं।


जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह स्थिति चिंताजनक है। 2019 में केंद्र शासित प्रदेश बनने का जश्न मनाने वाले लोग अब ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।


चीन और पाकिस्तान की सीमाओं से लगे लेह-लद्दाख क्षेत्र में अचानक फैली हिंसा को देखते हुए केंद्र सरकार को स्थानीय लोगों की भावनाओं को समझने की आवश्यकता है।


जो लोग कल तक केंद्र शासित प्रदेश बनने के लिए जश्न मना रहे थे, आज वे लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। यह एक गंभीर चिंता का विषय है।


लद्दाख में बढ़ती हिंसा: प्रदर्शनकारियों की मांगें और राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ


-इरविन खन्ना, मुख्य संपादक।