लद्दाख में हिंसक प्रदर्शन: क्या है कारण और क्या हैं मांगें?

लद्दाख में प्रदर्शन का उग्र रूप
Ladakh Protest: लद्दाख में बुधवार को लंबे समय से चल रहे शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन ने अचानक हिंसक मोड़ ले लिया। प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय और सीआरपीएफ की गाड़ी को आग लगा दी। इस झड़प में चार लोगों की जान चली गई और लगभग 60 लोग घायल हुए। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने लेह में कर्फ्यू लागू कर दिया है।
शांतिपूर्ण आंदोलन से हिंसक प्रदर्शन तक
पिछले कुछ हफ्तों से लोग भूख हड़ताल और शांतिपूर्ण धरनों के माध्यम से अपनी मांगें रख रहे थे, लेकिन बुधवार को गुस्साए युवाओं ने सड़कों पर उतरकर हिंसक प्रदर्शन किया। इस आंदोलन का नेतृत्व पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक कर रहे थे, जो लद्दाख के अधिकारों और विकास के लिए लंबे समय से आवाज उठा रहे हैं। इस आंदोलन की जिम्मेदारी लेह एपेक्स बॉडी (LAB) ने संभाली, जो विभिन्न धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक समूहों का एक संयुक्त मंच है।
भूख हड़ताल का प्रभाव
वांगचुक और अन्य सदस्यों ने केंद्र सरकार को बातचीत के लिए मजबूर करने के लिए भूख हड़ताल की। मंगलवार को जब एक बुजुर्ग महिला और एक पुरुष की हालत बिगड़ गई, तो LAB के युवा विंग ने बुधवार को शहर बंद का आह्वान किया। इसी दौरान, भीड़ ने बीजेपी कार्यालय के बाहर इकट्ठा होकर उसे आग के हवाले कर दिया।
करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस का समर्थन
इस आंदोलन को करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) का समर्थन भी मिला है। KDA ने LAB की मांगों का समर्थन करते हुए पूरे केंद्र शासित प्रदेश में एकजुटता दिखाने के लिए 25 सितंबर को बंद का आह्वान किया। पिछले चार वर्षों से LAB और KDA मिलकर राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची में शामिल करने और लद्दाख की सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहचान की रक्षा की मांग कर रहे हैं।
लद्दाख में प्रदर्शन के कारण
लद्दाख को 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया, लेकिन यहां विधानसभा का गठन नहीं हुआ। सीधे केंद्र के अधीन रहने से स्थानीय लोगों में असंतोष बढ़ गया है। उनका कहना है कि उनकी पहचान, जनजातीय संस्कृति और नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र खतरे में है। इसी मुद्दे पर जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के नेतृत्व में 10 सितंबर से भूख हड़ताल चल रही थी।