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लद्दाख में हिंसक विरोध पर कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी की तीखी प्रतिक्रिया

कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने लद्दाख में हालिया हिंसक विरोध प्रदर्शन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी से समस्या का समाधान नहीं होगा, बल्कि वादों को पूरा करने से ही स्थिति में सुधार होगा। 24 सितंबर को हुए हिंसक विरोध के बाद प्रशासन ने प्रतिबंध लगाए हैं और सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। जानें इस मुद्दे पर और क्या हो रहा है।
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लद्दाख में हिंसक विरोध पर कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी की तीखी प्रतिक्रिया

लद्दाख में स्थिति पर चिंता

नई दिल्ली। कांग्रेस के सांसद प्रमोद तिवारी ने शनिवार को लद्दाख में बिगड़ती स्थिति पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की आलोचना की। उन्होंने कहा कि केवल गिरफ्तारियों से समस्या का समाधान नहीं होगा, बल्कि वादों को पूरा करने से ही स्थिति में सुधार होगा। तिवारी ने यह भी कहा कि लद्दाख और जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने का वादा पूरा करना ही एकमात्र समाधान है। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह पिछले दो वर्षों से मणिपुर की स्थिति को संभालने में असफल रही है और अब लद्दाख में भी स्थिति को बिगड़ने दे रही है, जो कि एक संवेदनशील क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि लद्दाख में दमन से कोई मदद नहीं मिलेगी, केवल संवाद से ही समाधान निकलेगा।


हिंसक विरोध प्रदर्शन और प्रशासनिक कार्रवाई

24 सितंबर को हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद लेह में तनाव बढ़ गया है। प्रशासन ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत अनावश्यक आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया है। स्थानीय लोग भारी प्रतिबंधों के बावजूद अपने दैनिक जीवन को जारी रखने की कोशिश कर रहे हैं। इस विरोध के दौरान भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय में आग लगा दी गई थी। इसके अलावा, जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिया गया है, जिससे विवाद उत्पन्न हुआ है। उन्हें जोधपुर सेंट्रल जेल भेजा गया है।


हिंसक विरोध में हुई मौतें

हिंसक विरोध प्रदर्शन में चार लोगों की जान गई थी। इसके दो दिन बाद वांगचुक को एनएसए के तहत हिरासत में लिया गया। उन पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया है। वांगचुक ने भूख हड़ताल की थी, जो हिंसा के तुरंत बाद समाप्त हो गई। वे लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं, जो आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है। हाल की हिंसा के बाद, शनिवार को लेह में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत प्रतिबंध लागू किया गया है। आधिकारिक आदेश के अनुसार, जिले में पांच या अधिक व्यक्तियों के एकत्र होने पर प्रतिबंध है। बिना पूर्व लिखित अनुमति के कोई भी जुलूस, रैली या मार्च नहीं निकाला जाएगा। इलाके में सुरक्षाकर्मी तैनात कर दिए गए हैं।