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लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर सैफुल्लाह कसूरी का विवादास्पद भाषण

सैफुल्लाह कसूरी, जो पहलगाम आतंकी हमले का कथित मास्टरमाइंड है, हाल ही में एक राजनीतिक रैली में शामिल हुआ। इस रैली में उसने भड़काऊ भाषण दिया और भारत के खिलाफ नारेबाजी की। कसूरी ने हमले का समन्वय करने का आरोप स्वीकार किया और अपने नाम को विश्व स्तर पर प्रसिद्ध बताया। रैली में तल्हा सईद जैसे वांछित आतंकवादियों की उपस्थिति ने इस घटना को और भी विवादास्पद बना दिया। जानें इस रैली और लश्कर-ए-तैयबा की गतिविधियों के बारे में अधिक जानकारी।
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लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर सैफुल्लाह कसूरी का विवादास्पद भाषण

सैफुल्लाह कसूरी का सार्वजनिक प्रदर्शन

सैफुल्लाह कसूरी, जो पहलगाम आतंकी हमले का कथित मास्टरमाइंड है, हाल ही में एक राजनीतिक रैली में नजर आया। इस रैली में उसने पाकिस्तानी राजनीतिक नेताओं और अन्य वांछित आतंकवादियों के साथ मंच साझा किया। यह कार्यक्रम पाकिस्तान के परमाणु परीक्षणों के वार्षिक स्मरणोत्सव यौम-ए-तकबीर के अवसर पर पाकिस्तान मरकज़ी मुस्लिम लीग (पीएमएमएल) द्वारा आयोजित किया गया था, जहां भड़काऊ भाषण और भारत विरोधी नारे लगाए गए। इस रैली में लश्कर के संस्थापक हाफ़िज़ सईद का बेटा तल्हा सईद भी शामिल था।


कसूरी का बयान और हमले का विवरण

कसूरी ने रैली में कहा कि उसे पहलगाम आतंकी हमले का मास्टरमाइंड बताया गया है और अब उसका नाम पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो गया है। माना जाता है कि उसने पहलगाम के बैसरन मैदान पर हुए हमले का समन्वय किया था, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने 26 लोगों की हत्या की थी, जिनमें अधिकांश हिंदू थे। कसूरी ने इलाहाबाद में 'मुदस्सिर शहीद' के नाम पर एक केंद्र, सड़क और अस्पताल बनाने की योजना की भी घोषणा की।


तल्हा सईद का उग्र भाषण

रैली में तल्हा सईद, जो भारत की वांछित आतंकवादियों की सूची में 32वें स्थान पर है, ने जिहादी नारों के साथ एक उग्र भाषण दिया। उसने 2024 के आम चुनावों में लाहौर की NA-122 सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गया। फिर भी, उसने पीएमएमएल के साथ अपने संबंध बनाए रखे हैं, जिसे लश्कर-ए-तैयबा का राजनीतिक मोर्चा माना जाता है। पीएमएमएल ने हाल के दिनों में भारत के खिलाफ बयानबाजी को तेज कर दिया है, जिसमें प्रमुख शहरों में विरोध प्रदर्शन शामिल हैं।


लश्कर-ए-तैयबा की राजनीतिक प्रासंगिकता

लश्कर-ए-तैयबा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और पाकिस्तान में प्रतिबंधित किया गया है, लेकिन पीएमएमएल जैसे समूहों ने इसके नेतृत्व को राजनीतिक और वैचारिक प्रासंगिकता बनाए रखने में मदद की है। हाफ़िज़ सईद, जो 2008 के मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड है, अब भी पीएमएमएल की गतिविधियों के पीछे वैचारिक शक्ति के रूप में देखा जाता है।


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