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ला नीना का प्रभाव: उत्तर भारत में सर्दियों में ठंड बढ़ने की संभावना

इस साल के अंत में ला नीना के सक्रिय होने की संभावना है, जिससे उत्तर भारत में सर्दियों में ठंड और बर्फबारी बढ़ सकती है। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि अक्टूबर से दिसंबर के बीच ठंड का स्तर सामान्य से अधिक हो सकता है। जानें इस जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और तैयारी के बारे में।
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ला नीना का नया अपडेट

La Nina New Update: दक्षिण पश्चिम मानसून की वापसी हो रही है और सर्दी का मौसम नजदीक है। इस बार भारत में गर्मी का स्तर सामान्य से कम रहा है, और वर्ष 2025 को सबसे गर्म साल नहीं माना जाएगा, क्योंकि मानसून के दौरान अधिक वर्षा हुई है। हालांकि, मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल के अंत में प्रशांत महासागर में ला नीना सक्रिय होने से भारत सहित वैश्विक मौसम पर प्रभाव पड़ेगा।


उत्तर भारत के लिए चेतावनी

विशेषज्ञों के अनुसार, ला नीना के प्रभाव से भारत की सर्दियां, विशेषकर अक्टूबर से दिसंबर के बीच, सामान्य से अधिक ठंडी हो सकती हैं। उत्तर भारत और हिमालयी क्षेत्रों में कड़ाके की ठंड और भारी बर्फबारी की संभावना है। इसलिए पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के निवासियों को सतर्क रहना चाहिए। बर्फबारी के लिए पहले से तैयारी करना आवश्यक है।


ला नीना की स्थिति क्या है?

ला नीना एक जलवायु परिवर्तन है, जिसे अल नीनो साउदर्न ओसिलेशन (ENSO) के तहत वर्गीकृत किया जाता है। यह प्रशांत महासागर के तापमान को सामान्य से कम कर देता है। इसके कारण पूर्वी हवाएं तेज़ी से चलती हैं, जिससे कुछ क्षेत्रों में अधिक वर्षा होती है जबकि अन्य क्षेत्रों में सूखा पड़ता है। जब ला नीना सक्रिय होता है, तब भारत में सर्दी का अनुभव भी होता है।


क्या प्रभाव पड़ सकता है?

इस बार सर्दियों में भारत में ला नीना के कारण अधिक वर्षा देखने को मिल सकती है। इसके प्रभाव से ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया में अच्छी बारिश होती है। उत्तरी यूरोप में सर्दी कम हो सकती है, जबकि दक्षिणी और पश्चिमी यूरोप में सर्दी अधिक हो सकती है। किसानों के लिए यह बारिश फायदेमंद हो सकती है, लेकिन धान की फसलों को नुकसान हो सकता है।


अमेरिका की रिपोर्ट

अमेरिका की राष्ट्रीय मौसम सेवा के जलवायु पूर्वानुमान केंद्र (CPC) ने 11 सितंबर को एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा गया है कि प्रशांत महासागर में अक्टूबर से दिसंबर 2025 के बीच ला नीना सक्रिय हो सकता है, जिसकी संभावना 71% है। दिसंबर 2025 से फरवरी 2026 के बीच इसका प्रभाव कम होकर 54% रह सकता है। इसका असर वैश्विक मौसम पर देखा जा सकता है।


IMD की जानकारी

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अगस्त 2025 में एक ENSO बुलेटिन जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि प्रशांत महासागर में मौसमी परिस्थितियां तटस्थ हैं। हालांकि, अक्टूबर से दिसंबर के बीच ला नीना के सक्रिय होने की संभावना 50% है, जो भारत में अधिक ठंड का संकेत देती है।


स्काईमेट की रिपोर्ट

स्काईमेट वेदर की रिपोर्ट के अनुसार, प्रशांत महासागर पहले से ही सामान्य से अधिक ठंडा है, लेकिन अभी तक ला नीना के स्तर तक नहीं पहुंचा है। यदि महासागर की सतह का तापमान -0.5°C से नीचे गया और यह स्थिति तीन महीने तक बनी रही, तो ला नीना सक्रिय होने की घोषणा की जाएगी।