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वक्त पर बेहतरीन शायरी: समय की अहमियत को समझें

इस लेख में वक्त पर लिखी गई बेहतरीन शायरी का संग्रह प्रस्तुत किया गया है। समय की अहमियत को दर्शाते हुए, ये शेर न केवल प्रेरणादायक हैं, बल्कि जीवन के विभिन्न पहलुओं को भी उजागर करते हैं। पढ़ें और अपने प्रियजनों के साथ साझा करें, ताकि वे भी इस खूबसूरत शायरी का आनंद ले सकें।
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वक्त पर बेहतरीन शायरी: समय की अहमियत को समझें

वक्त शायरी हिंदी में

वक्त शायरी हिंदी में: समय एक ऐसा सत्य है जिसे कोई भी नहीं रोक सकता। यह न किसी के लिए ठहरता है और न ही लौटता है। यह तो एक निरंतर बहने वाली नदी की तरह है।


जो लोग समय को समझते हैं, वही जीवन में प्रगति करते हैं। इसका अर्थ है कि यदि आप अपने समय का सही उपयोग नहीं करते, तो बाद में पछताने के अलावा कुछ नहीं बचेगा। इस समय पर कई प्रसिद्ध शायरों ने समय पर अद्भुत शेर लिखे हैं। आइए, वक्त पर शायरी का आनंद लेते हैं:


वक्त शायरी लव | वक्त शायरी उर्दू हिंदी में

इक साल बीत गया, नया साल आने को है
पर वक्त का अब भी होश नहीं दीवाने को
इब्न-ए-इंशा


अगर फुर्सत मिले, पानी की तहरीरों को पढ़ लेना
हर एक दरिया हजारों साल का अफ़साना लिखता है
बशीर बद्र


हजारों साल सफर कर के फिर वहीं पहुँचे
बहुत ज़माना हुआ था हमें ज़मीं से चले
वहीद अख़्तर


सब आसान हो जाता है
मुश्किल वक्त तो अब आया है
शारिक़ कैफ़ी


वक्त शायरी हिंदी में

तुम चलो इस के साथ या न चलो
पांव रुकते नहीं ज़माने के
अबुल मुजाहिद ज़ाहिद


या वो थे ख़फ़ा हम से या हम हैं ख़फ़ा उन से
कल उनका ज़माना था, आज अपना ज़माना है
जिगर मुरादाबादी


सुबह होती है, शाम होती है
उम्र यूं ही तमाम होती है
मुंशी अमीरुल्लाह तस्लीम
वक्त कहीं टिकता नहीं
आदत इसकी भी आदमी सी है
गुलज़ार


वक्त करता है परवरिश बरसों
हादिसा एक दम नहीं होता
काबिल अजमेरी


ये पानी ख़ामोशी से बह रहा है
इसे देखें कि इस में डूब जाएं
अहमद मुश्ताक़


सफ़र पीछे की जानिब है, क़दम आगे है मेरा
मैं बूढ़ा होता जाता हूँ, जवाँ होने की ख़ातिर
ज़फर इक़बाल


चेहरा और नाम एक साथ आज न याद आ सके
वक्त ने किस शबीह को ख़्वाब और ख़याल कर दिया
परवीन शाकिर


सदा ऐश दौरां दिखाता नहीं
गया वक्त फिर हाथ आता नहीं
मीर हसन


वक्त बर्बाद करने वालों को
वक्त बर्बाद कर के छोड़ेगा
दिवाकर राही


वो वक्त का जहाज़ था, करता लिहाज़ क्या
मैं दोस्तों से हाथ मिलाने में रह गया
हफ़ीज़ मेरठी


गुज़रने ही न दी वो रात मैंने
घड़ी पर रख दिया था हाथ मैंने
शहज़ाद अहमद


रोज़ मिलने पे भी लगता था कि जुग बीत गए
इश्क़ में वक्त का एहसास नहीं रहता है
अहमद मुश्ताक़


उम्र भर मिलने नहीं देती हैं अब तो रंजिशें
वक्त हम से रूठ जाने की अदा तक ले गया
फसीह अकमल


पीरी में वलवले वो कहां हैं शबाब के
इक धूप थी कि साथ गई आफ़्ताब के
मुंशी खुशवक़्त अली खुर्शीद
कोई ठहरता नहीं यूं तो वक्त के आगे
मगर वो ज़ख़्म कि जिसका निशां नहीं जाता
फर्रुख़ जाफ़री


आशा है कि आपको वक्त पर लिखे ये शेर पसंद आए होंगे। यदि आपको ये पसंद आए हैं, तो आप इन्हें अपने सोशल मीडिया पर साझा कर सकते हैं। आप चाहें तो किसी खास को वक्त पर हिंदी शायरी भेजकर उसके चेहरे पर मुस्कान भी ला सकते हैं।