वायु प्रदूषण का गर्भस्थ जीवन पर गंभीर प्रभाव: अध्ययन से खुलासा
 
                           
                        प्रदूषण का खतरा गर्भ में पल रहे जीवन पर
हमारी हर सांस में ऑक्सीजन के साथ-साथ अदृश्य विष भी समाहित है। वायु प्रदूषण का यह खतरा गर्भ में पल रहे नवजातों को भी प्रभावित कर रहा है। वैज्ञानिक अनुसंधान से पता चलता है कि प्रदूषण का प्रभाव प्रजनन से लेकर जन्म और बचपन तक फैला हुआ है।
प्रजनन क्षमता पर प्रदूषण का प्रभाव
महिलाओं और पुरुषों की प्रजनन क्षमता वायु प्रदूषण के कारण पहले से ही कमजोर हो रही है। फरवरी 2023 में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया है कि प्रदूषण के बढ़ने से महिलाओं के अंडाशय में अंडों की संख्या में कमी आती है। एंटी-म्यूलरियन हार्मोन में पीएम1 के हर 10 माइक्रोग्राम की वृद्धि से 8.8 प्रतिशत की गिरावट आती है।
इसी प्रकार, पीएम2.5, पीएम10 और एनओ2 भी प्रजनन क्षमता को प्रभावित करते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि ये सूक्ष्म कण फेफड़ों से रक्त में प्रवेश कर अंडाशय को नुकसान पहुंचाते हैं। एक अध्ययन में यह भी पाया गया कि पीएम2.5 के कारण पुरुषों में शुक्राणुओं की गतिशीलता में कमी आई है।
गर्भ में भ्रूण की समस्याएं
गर्भधारण के बाद भी प्रदूषण भ्रूण को प्रभावित करता है। एक अध्ययन में बताया गया है कि पहले तिमाही में प्रदूषण के कारण प्लेसेंटा का वजन कम होता है, जो विकास के लिए आवश्यक है।
एक अन्य समीक्षा में यह पाया गया कि गर्भनाल के रक्त में ब्लैक कार्बन कण यकृत, फेफड़ों और मस्तिष्क तक पहुंचते हैं, जिससे समय से पहले प्रसव और नवजात मृत्यु का खतरा बढ़ता है।
बचपन में विकास पर प्रदूषण का प्रभाव
बचपन में प्रदूषण दिमाग और शरीर दोनों को प्रभावित करता है। एक अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ है कि पीएम2.5 और एनओ2 से बुद्धि, स्मृति और ध्यान पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
तीसरी तिमाही में अधिक संपर्क से नवजात का रक्तचाप बढ़ सकता है, जिससे हृदय दोष और श्वसन संक्रमण का खतरा बढ़ता है।
प्रदूषण का कोशिकाओं पर प्रभाव
प्रदूषण कोशिकाओं की प्रोटीन गतिविधियों को भी प्रभावित करता है। एक अध्ययन में बताया गया है कि एनओ2 से ऑटोफैगी प्रक्रिया बाधित होती है, जिससे सूजन और उम्र के नुकसान से बचाने वाले प्रोटीन की कमी होती है।
यूरोपीय शोधों में यह भी पाया गया है कि वाहन धुएं से न्यूरॉन्स का विकास रुकता है, विशेषकर सड़क किनारे रहने वालों में।
भारत में प्रदूषण का बढ़ता संकट
भारत में वायु प्रदूषण बच्चों के लिए एक गंभीर खतरा बनता जा रहा है। हाल की रिपोर्ट के अनुसार, यह पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत का तीसरा बड़ा कारण है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो आने वाली पीढ़ी सांस लेना भी भूल जाएगी।
