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वाराणसी में 'I Love Mahadev' मुहिम के तहत संतों का शक्ति प्रदर्शन

वाराणसी में 'I Love Mohammad' अभियान के खिलाफ संतों ने 'I Love Mahadev' मुहिम के तहत एक बड़ा शक्ति प्रदर्शन किया। शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती के नेतृत्व में आयोजित इस आंदोलन में संतों ने जनता से अपील की कि महादेव भक्तों को संगठित किया जाए। प्रदर्शन के दौरान शहर के विभिन्न स्थानों पर पोस्टर लगाए गए और नारेबाजी की गई। संतों ने इस आंदोलन को शांति का संदेश देने वाला बताया, लेकिन साथ ही चेतावनी दी कि जरूरत पड़ने पर उनकी सेना तैयार है। जानें इस विवाद के पीछे की पूरी कहानी।
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वाराणसी में 'I Love Mahadev' मुहिम के तहत संतों का शक्ति प्रदर्शन

सियासी और धार्मिक विवाद का नया मोड़

वाराणसी: कानपुर में शुरू हुआ विवाद अब सियासी और धार्मिक रंग ले चुका है। 'I Love Mohammad' नामक अभियान के खिलाफ वाराणसी के संतों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने 'I Love Mahadev' मुहिम के माध्यम से अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया। शहर के गलियों, घाटों, मंदिरों और सार्वजनिक स्थलों पर पोस्टर लगाए गए और नारेबाजी की गई। इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व काशी के शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती ने किया। उन्होंने जनता से अपील की कि महादेव के भक्तों को एकजुट होकर संगठित किया जाए और जरूरत पड़ने पर आंदोलन को बलपूर्वक आगे बढ़ाया जाए।


काशी की सड़कों पर शक्ति प्रदर्शन

वाराणसी के प्रमुख संतों ने 'I Love Mahadev' लिखी तख्तियां लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर से दशाश्वमेध घाट तक एक संयुक्त मार्च निकाला। इस दौरान शंखनाद और 'हर हर महादेव' के जयकारों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा। युवा, महिलाएं और साधु-संत सभी इस मार्च का हिस्सा बने।


पोस्टर युद्ध और महादेव सेना

प्रदर्शन के साथ ही शहर के पार्कों, बाजारों और आवासीय इलाकों में 'I Love Mahadev' के पोस्टर चस्पा किए गए। शंकराचार्य ने कहा कि इस आंदोलन में महादेव की सेना में करोड़ों लोग शामिल हैं, जिनमें से कुछ को सैन्य स्तर का प्रशिक्षण प्राप्त है।


एक संत ने कहा कि 'I Love Mohammad' के नाम पर जो उन्माद फैलाया जा रहा है, वह सरकार को अस्थिर करने की कोशिश है। हमारा यह अभियान शांति का संदेश देता है, लेकिन यदि जरूरत पड़ी तो हमारी सेना हमेशा तैयार है। प्रदर्शन के दौरान कोई हिंसा नहीं हुई, लेकिन स्थानीय पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा कर दिया और सतर्कता बरती।