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विदेश मंत्री जयशंकर का बयान: भारतीय सेना की ताकत और चीन-पाकिस्तान की नजदीकियों पर चिंता

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राज्यसभा में 'ऑपरेशन सिंदूर' के संदर्भ में भारतीय सेना की ताकत का जिक्र करते हुए कहा कि भारत अपनी सुरक्षा के लिए किसी पर निर्भर नहीं है। उन्होंने चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ते संबंधों पर चिंता जताई और कांग्रेस की विदेश नीति की आलोचना की। जयशंकर ने कहा कि पिछली सरकारों ने चीन को भारत के संवेदनशील क्षेत्रों में घुसने का मौका दिया। उनके बयान में सुरक्षा से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है।
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विदेश मंत्री जयशंकर का बयान: भारतीय सेना की ताकत और चीन-पाकिस्तान की नजदीकियों पर चिंता

राज्यसभा में जयशंकर का बयान

बुधवार को राज्यसभा में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के संदर्भ में भारतीय सेना की शक्ति और साहस का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तान के नूर खान एयरबेस और आतंकवादियों के ठिकानों को नष्ट कर यह सिद्ध कर दिया कि भारत अपनी सुरक्षा के लिए किसी अन्य पर निर्भर नहीं है। जयशंकर ने यह भी कहा कि यह कहना कि हमें किसी की सहायता की आवश्यकता है, हमारी सेना का अपमान है। उनका स्पष्ट संदेश था कि भारतीय सेना पूरी तरह सक्षम है और किसी भी खतरे का सामना करने में सक्षम है।


चीन और पाकिस्तान के संबंधों पर चिंता

जयशंकर ने अपने भाषण में चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ते संबंधों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह गठबंधन अचानक नहीं बना है, बल्कि यह एक लंबे समय से विकसित हो रहा है। उन्होंने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जो लोग इस रणनीतिक गठबंधन के बारे में अनजान हैं, वे इतिहास की कक्षा में सो रहे हैं। उनके अनुसार, हमें सतर्क रहना चाहिए क्योंकि ये दोनों देश मिलकर भारत के खिलाफ खतरनाक योजनाएं बना सकते हैं।


कांग्रेस की विदेश नीति पर व्यंग्य

जयशंकर ने कांग्रेस की विदेश नीति की आलोचना करते हुए 'चाइंडिया' की सोच का मजाक उड़ाया। उन्होंने कहा कि कुछ नेता चीन को केवल ओलंपिक में जाकर समझने की कोशिश करते हैं और असली बातें वहीं रह जाती हैं। इसके बाद वे चीनी राजदूतों को घर बुलाकर निजी ट्यूशन लेते हैं, जैसे कि चीन से दोस्ती कोई क्लासरूम की पढ़ाई हो। उन्होंने यह भी कहा कि चीन और पाकिस्तान का साथ आना तब शुरू हुआ जब भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को छोड़ दिया।


राष्ट्रीय सुरक्षा में लापरवाही

विदेश मंत्री ने यह भी बताया कि पिछली सरकारों, विशेषकर कांग्रेस के समय, चीन को भारत के संवेदनशील क्षेत्रों में घुसने का अवसर दिया गया। उन्होंने 2006 में हुए एक समझौते का उल्लेख किया, जब तत्कालीन चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ भारत आए थे। उस समय भारत और चीन के बीच व्यापार बढ़ाने के लिए कई योजनाएं बनाई गई थीं। लेकिन सबसे गंभीर बात यह थी कि उस समय टेलीकॉम जैसे सुरक्षा से जुड़े क्षेत्र में चीनी कंपनियों को 3जी और 4जी सेवाओं के लिए भारत में आने दिया गया। जयशंकर ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया।


कांग्रेस की नीतियों पर सवाल

जयशंकर ने अपने पूरे भाषण में कांग्रेस की विदेश नीति और उनके निर्णयों पर सवाल उठाए। उन्होंने विपक्ष को यह सोचने के लिए कहा कि राष्ट्रीय हितों और सुरक्षा को नजरअंदाज करके लिए गए निर्णय भविष्य में कितनी बड़ी समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं। उनका कहना था कि देश की सुरक्षा से संबंधित नीतियों में जिम्मेदारी और दूरदर्शिता की आवश्यकता है, जो पिछली सरकारों में नहीं देखी गई।