Newzfatafatlogo

विदेश मंत्री जयशंकर ने ऑपरेशन सिंदूर पर स्पष्ट किया भारत का अंतरराष्ट्रीय समर्थन

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में भारत के अंतरराष्ट्रीय समर्थन को स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि केवल पाकिस्तान और तीन अन्य देशों ने इस पर विरोध किया। जयशंकर ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि भारत ने न केवल सैन्य कार्रवाई की, बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी सख्त रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि भारत ने किसी भी प्रकार की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया और संघर्षविराम के प्रस्ताव को औपचारिक रूप से भेजने की बात की।
 | 
विदेश मंत्री जयशंकर ने ऑपरेशन सिंदूर पर स्पष्ट किया भारत का अंतरराष्ट्रीय समर्थन

विदेश मंत्री का बयान

नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को लोकसभा में बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भारत का समर्थन किया है, जिसमें केवल पाकिस्तान और तीन अन्य देशों ने विरोध किया। उन्होंने विपक्ष के उस आरोप को खारिज किया कि भारत को विदेश नीति में पर्याप्त समर्थन नहीं मिला है।


जयशंकर ने लोकसभा में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा के दौरान कहा कि पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान को एक स्पष्ट संदेश भेजना जरूरी था। उन्होंने बताया कि भारत ने न केवल सैन्य कार्रवाई की, बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी सख्त रुख अपनाया। उन्होंने सिंधु जल संधि के स्थगन और अटारी सीमा को अस्थायी रूप से बंद करने जैसे कदमों का उल्लेख किया।


उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में पाकिस्तान की सदस्यता के कारण भारत के लिए समर्थन जुटाना चुनौतीपूर्ण था, फिर भी 25 अप्रैल को सुरक्षा परिषद के बयान में पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की गई, जिसे उन्होंने 'कड़े शब्दों वाला असाधारण बयान' कहा।


जयशंकर ने आगे कहा, “संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्यों में से केवल पाकिस्तान और तीन अन्य देशों ने ऑपरेशन सिंदूर का विरोध किया। भारत ने न तो किसी मध्यस्थता को स्वीकार किया और न ही परमाणु ब्लैकमेलिंग के आगे झुका।” उन्होंने बताया कि “10 मई को पाकिस्तान की ओर से कई फोन कॉल आए, जिसमें संघर्षविराम की इच्छा व्यक्त की गई। हमने कहा कि इस प्रस्ताव को डीजीएमओ के माध्यम से औपचारिक रूप से भेजा जाए।”


डोनाल्ड ट्रंप द्वारा संघर्षविराम में भूमिका के दावे पर जयशंकर ने कहा, “22 अप्रैल से 17 जून के बीच प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच कोई सीधा संवाद नहीं हुआ।” उन्होंने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्ष भारत के विदेश मंत्री पर विश्वास नहीं करता, लेकिन अन्य देशों के बयानों पर भरोसा करता है। यही कारण है कि वे विपक्ष में हैं और अगले 20 वर्षों तक वहीं रहेंगे।”