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विदेश मंत्री जयशंकर ने भारतीय कूटनीति और वैश्विक छवि पर विचार साझा किए

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने पुणे में एक कार्यक्रम में भारतीय सभ्यता और कूटनीति पर विचार साझा किए। उन्होंने भगवान कृष्ण और हनुमान को कूटनीति के आदर्श बताया और भारतीय समाज की वैश्विक पहचान को उजागर किया। जयशंकर ने भारत की बदलती छवि और आर्थिक विकास की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उनके विचारों ने भारतीय कूटनीति की गहराई और महत्व को दर्शाया।
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विदेश मंत्री जयशंकर ने भारतीय कूटनीति और वैश्विक छवि पर विचार साझा किए

नई दिल्ली में महत्वपूर्ण विचार


नई दिल्ली: विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम में भारतीय संस्कृति, कूटनीति और आधुनिक भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि पर महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किए.


कूटनीति के प्रतीक: हनुमान और कृष्ण

उन्होंने भगवान कृष्ण और हनुमान को इतिहास के सबसे प्रभावशाली कूटनीतिज्ञों के रूप में प्रस्तुत किया। जयशंकर ने रामायण और महाभारत के संदर्भ में बताया कि भारत की सोच केवल शक्ति पर नहीं, बल्कि संवाद और रणनीति पर आधारित रही है.


हनुमान की लंका यात्रा और रणनीतिक दृष्टिकोण

जयशंकर ने हनुमान की लंका यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि उनका उद्देश्य केवल सीता माता का पता लगाना नहीं था, बल्कि पूरे परिदृश्य को समझना भी था। उन्होंने विभीषण की पहचान की और बताया कि सही समय पर सही व्यक्ति को पहचानना असली कूटनीति है.


भारत की बदलती छवि

विदेश मंत्री ने कहा कि आज दुनिया भारत को पहले से अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण से देखती है। यह बदलाव केवल आर्थिक ताकत के कारण नहीं, बल्कि भारत की विश्वसनीयता और व्यवहार के कारण भी आया है.


भारतीय समाज की वैश्विक पहचान

जयशंकर ने कहा कि आज भारतीयों को मेहनती, तकनीकी रूप से सक्षम और पारिवारिक मूल्यों से जुड़े लोगों के रूप में देखा जाता है। प्रवासी भारतीयों की भूमिका को सराहा गया है, जिससे विदेशों में भारत के प्रति सम्मान बढ़ा है.


आर्थिक विकास और शिक्षा की आवश्यकता

उन्होंने कहा कि भारत की प्रगति केवल सेवा क्षेत्र तक सीमित नहीं रह सकती। मजबूत विनिर्माण, आधुनिक शिक्षा और कौशल विकास की आवश्यकता है। पिछले दशक में उच्च शिक्षण संस्थानों की संख्या दोगुनी हुई है, लेकिन आगे और सुधार की आवश्यकता बनी हुई है.