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विपक्ष का संसद के बाहर धरना: वीबी-जी राम जी बिल पर तीखी प्रतिक्रिया

गुरुवार को संसद में वीबी-जी राम जी बिल के पारित होने पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इसे लोकतंत्र पर हमला करार देते हुए रात में संविधान सदन के बाहर धरना दिया। इस बिल को लेकर विपक्ष ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि यह गरीबों और किसानों के खिलाफ है। जानें इस विवाद की पूरी कहानी और विपक्ष की अगली रणनीति क्या होगी।
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विपक्ष का संसद के बाहर धरना: वीबी-जी राम जी बिल पर तीखी प्रतिक्रिया

विपक्ष ने वीबी-जी राम जी बिल को लोकतंत्र पर हमला बताया


गुरुवार को संसद में विरोध के बावजूद, सरकार ने विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) जिसे वीबी-जी राम जी बिल 2025 कहा जाता है, को पारित कर दिया। इस दौरान विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया और बिल की प्रतियां फाड़ दीं, लेकिन इसके बावजूद यह विधेयक पारित हो गया। विपक्षी दलों ने रात में संविधान सदन के बाहर धरना दिया।


विपक्ष ने इसे गरीबों, किसानों और श्रमिकों के खिलाफ बताते हुए लोकतंत्र पर हमला करार दिया। बिल के पारित होते ही कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके और अन्य विपक्षी दलों के सांसद संसद परिसर में धरने पर बैठ गए। तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा उपनेता सागरिका घोष ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने इस बिल को जबरन पारित कराया है।


राज्यसभा में बिल पारित होते ही विपक्ष का आक्रोश

राज्यसभा ने आधी रात के बाद वीबी-जी राम जी बिल को ध्वनि मत से पारित किया, जबकि लोकसभा पहले ही इसे मंजूरी दे चुकी थी। यह विधेयक महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की जगह लेगा और नए कानून के तहत ग्रामीण परिवारों को सालाना 125 दिन का रोजगार देने का प्रावधान है।


कांग्रेस का आरोप: 12 करोड़ लोगों की आजीविका पर खतरा

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि इस योजना से 12 करोड़ लोगों की आजीविका जुड़ी थी, जिसे समाप्त किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिस तरह तीन कृषि कानून वापस लिए गए थे, उसी तरह यह कानून भी वापस लेना होगा। कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि सत्ता में लौटने पर गांधी जी का नाम और मनरेगा दोनों को बहाल किया जाएगा।


केंद्र सरकार पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप

सागरिका घोष ने कहा कि विपक्ष को केवल पांच घंटे का नोटिस देकर इतना बड़ा बिल लाया गया और उचित बहस की अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने मांग की कि इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजा जाना चाहिए ताकि सभी पक्षों की राय ली जा सके। कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इसे देश के श्रमिकों के लिए सबसे दुखद दिन बताया।