Newzfatafatlogo

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का आतंकवाद पर कड़ा बयान

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने मालेगांव विस्फोट मामले पर केंद्र और राज्य सरकारों की नाकामियों को उजागर करते हुए आतंकवाद पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने आतंकवाद को किसी भी रंग में देखने की प्रवृत्ति की आलोचना की और सवाल उठाया कि क्या विस्फोट अपने आप होते हैं। उनके बयान ने इस संवेदनशील मुद्दे पर एक नई बहस को जन्म दिया है।
 | 
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का आतंकवाद पर कड़ा बयान

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद की प्रतिक्रिया

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद: शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने मालेगांव विस्फोट मामले और आतंकवाद पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों को इस मुद्दे पर घेरते हुए कहा कि आतंकवादी का आतंकवादी होना एक तथ्य है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या आप 'भगवा' आतंकवादी की पूजा करेंगे?


आतंकवाद पर संत का दृष्टिकोण

मीडिया से बातचीत करते हुए संत अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, "किसी भी रंग का आतंकवाद आतंकवाद ही होता है। आतंकवादी आते हैं, घटना को अंजाम देते हैं और चले जाते हैं। आप दोषियों को नहीं पकड़ पाते। मुंबई में 7 विस्फोट हुए, लेकिन आप दोषियों को नहीं पकड़ पाए, मालेगांव में भी ऐसा ही हुआ।"


रंग के प्रति पक्षपाती दृष्टिकोण

जो लोग रंग खोजते हैं, वे आतंकवाद के प्रति पक्षपाती होते हैं

उन्होंने आगे कहा, "जब आतंकवादियों को पकड़ने की बात आती है, तो आप अपनी नाकामियों को छिपाते हैं और फिर आतंकवाद में रंग ढूंढने लगते हैं। रंग जीवन का होता है। मरने के बाद आपकी आँखें रंग नहीं देखतीं, जो लोग आतंकवाद में रंग ढूंढते हैं, वे आतंकवाद के प्रति पक्षपाती होते हैं।"


मालेगांव विस्फोट का मामला

मालेगांव विस्फोट मामला

  • गुरुवार (31 जुलाई) को, अदालत ने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया।
  • मालेगांव विस्फोट की सुनवाई 17 साल तक चली।
  • महाराष्ट्र एटीएस और एनआईए ने तीन आरोपपत्र दायर किए।
  • 29 सितंबर 2008 को, मालेगांव में एक मोटरसाइकिल पर बंधे बम के फटने से 6 लोगों की मौत हो गई।
  • 2008 के मालेगांव विस्फोट के बाद दंगे भी भड़क उठे।


विस्फोट की जांच पर सवाल

विस्फोट अपने आप तो नहीं हो सकता

शंकराचार्य ने सवाल उठाते हुए कहा, "विस्फोट अपने आप नहीं हो सकता था, इसमें कोई न कोई शामिल ज़रूर रहा होगा। वह व्यक्ति कौन था?" भारत सरकार और राज्य सरकार उसे ढूँढने में नाकाम साबित हो रही है। कोई आता है, धमाका करता है और चला जाता है, फिर हम समय और संसाधन खर्च करने के बाद भी उसे नहीं पकड़ पाते। यह हमारी क्षमता पर करारा तमाचा है।