शगुफ्ता रफीक: संघर्ष से सफलता की कहानी

बॉलीवुड में संघर्ष और सफलता
बॉलीवुड की चमक-दमक भरी दुनिया दर्शकों को सपनों की एक नई दुनिया में ले जाती है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि यह उद्योग किसी के जीवन को पल भर में बदल सकता है। शगुफ्ता रफीक, जिन्होंने गरीबी में अपना बचपन बिताया, ने 12 साल की उम्र में प्राइवेट पार्टियों में डांस करना शुरू किया और 17 साल की उम्र में वेश्यावृत्ति के रास्ते पर चलने को मजबूर हुईं। लेकिन उन्होंने अपनी कठिनाइयों का रोना नहीं रोया और अपने जीवन के अनुभवों को कविता और कहानियों में बदल दिया। एक दिन उनकी मुलाकात प्रसिद्ध फिल्म निर्माता महेश भट्ट से हुई, जिसने उनकी जिंदगी की दिशा बदल दी। शगुफ्ता ने 'आशिकी 2', 'मर्डर 2' जैसी फिल्मों की पटकथा लिखकर बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाई।
कठिन बचपन और अनजान माता-पिता
शगुफ्ता ने एक पुराने इंटरव्यू में बताया, "मुझे अपनी जैविक मां के बारे में कभी जानकारी नहीं मिली।" उन्हें भूली-बिसरी अभिनेत्री अनवारी बेगम ने गोद लिया था, जिन्हें लोग उनकी नानी समझते थे। अनवारी की बेटी के विवाह पूर्व संबंधों के कारण शगुफ्ता के जन्म को लेकर कई अफवाहें थीं। उन्होंने सुना था कि वह सड़क पर पड़ी मिली थीं, लेकिन सच्चाई कभी सामने नहीं आई।
निजी पार्टियों से वेश्यावृत्ति का सफर
12 साल की उम्र में, जब उनकी मां आर्थिक तंगी में थीं, शगुफ्ता ने निजी पार्टियों में डांस करना शुरू किया। उन्होंने कहा, "ये पार्टियां, जो संदिग्ध फ्लैट्स में होती थीं, वेश्यालय जैसी थीं, जहां सम्मानित पुरुष अपनी मालकिनों और वेश्याओं के साथ आते थे।" 17 साल की उम्र में उन्होंने वेश्यावृत्ति शुरू की, जिससे उन्हें गहरा आघात पहुंचा। एक टीवी चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा कि उनकी मां को इसकी जानकारी थी, लेकिन वह इसे स्वीकार नहीं करती थीं। फिर भी, परिवार की जरूरतों के लिए शगुफ्ता ने यह रास्ता चुना और हर रात 3000 रुपये कमाने लगीं।
दुबई में बार डांसर का अनुभव
बाद में, शगुफ्ता दुबई में बार डांसर बन गईं। उन्होंने बताया, "पहले मुझे डर लगा। मुझे नहीं पता था कि लोग मेरे प्रदर्शन के दौरान धूम्रपान और शराब पी रहे होंगे। पहले दो दिन मुझे कोई पैसा नहीं मिला क्योंकि मैं डर गई थी।" लेकिन जल्द ही एक 45 वर्षीय व्यक्ति ने उन पर धन वर्षा की और प्रेम प्रस्ताव रखा। हालांकि शादी नहीं हुई, लेकिन वह व्यक्ति उनके लिए रक्षक बन गया।
महेश भट्ट से मुलाकात और बॉलीवुड में कदम
1999 में मां को कैंसर होने का पता चलने के बाद शगुफ्ता भारत लौटीं। शगुफ्ता कहती हैं कि 2002 में उनकी महेश भट्ट से मुलाकात हुई, जहां उन्होंने उन्हें बताया कि वह लिखना चाहती हैं। शगुफ्ता कहती हैं, "मैंने चॉल में गंदे तकियों और गद्दों पर सोई, जहां कई लड़कियां अरबपतियों का मनोरंजन करती थीं… मैं इन सब को लिखना चाहती थी। मुझे विश्वास था कि मेरा करियर बॉलीवुड में है।" 2006 में उन्होंने 'कलयुग' के लिए कुछ दृश्य लिखे, जो उनकी जिंदगी से प्रेरित थे। इसके बाद 'वो लम्हे', 'आवारापन', 'रहस्य 2', 'मर्डर 2' और 'आशिकी 2' जैसी फिल्में लिखकर सफलता की कहानी लिखने वाली शगुफ्ता आज कई महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गई हैं.