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शशि थरूर ने इमरजेंसी को बताया भारतीय इतिहास का काला अध्याय

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने 1975 में लागू की गई इमरजेंसी को भारतीय इतिहास का काला अध्याय बताया है। उन्होंने कहा कि आज का भारत उस समय के भारत से भिन्न है, जहां लोकतांत्रिक संस्थाएं और नागरिक समाज मजबूत हैं। थरूर ने नागरिक स्वतंत्रता के दमन और प्रेस की आजादी की कमी की ओर इशारा करते हुए कहा कि अब वैसी तानाशाही लागू नहीं हो सकती। उनका यह बयान कांग्रेस पार्टी के भीतर से आया है, जो अपनी ऐतिहासिक गलती को स्वीकार कर रही है।
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शशि थरूर ने इमरजेंसी को बताया भारतीय इतिहास का काला अध्याय

1975 की इमरजेंसी पर शशि थरूर की टिप्पणी

कांग्रेस के प्रमुख नेता और प्रभावशाली वक्ता शशि थरूर ने 1975 में लागू की गई इमरजेंसी को 'देश के इतिहास का एक काला अध्याय' बताया है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि आज का भारत उस समय के भारत से भिन्न है और अब वैसी तानाशाही की स्थिति नहीं बन सकती, क्योंकि देश के लोकतांत्रिक संस्थान और नागरिक समाज काफी मजबूत हो चुके हैं।

थरूर ने यह बयान उस समय दिया जब देश इमरजेंसी की 49वीं वर्षगांठ मना रहा है। उन्होंने कहा कि उस समय नागरिक स्वतंत्रता का दमन किया गया, प्रेस की स्वतंत्रता को छीन लिया गया और संवैधानिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया। उन्होंने इसे भारतीय लोकतंत्र पर एक गंभीर हमला बताया।

उन्होंने कहा कि आज की मजबूत लोकतांत्रिक संस्थाएं, जैसे न्यायपालिका, चुनाव आयोग और मीडिया, भले ही उन पर दबाव हो, फिर भी काफी हद तक स्वतंत्र और सशक्त हैं। नागरिक समाज भी सक्रिय है, लोग अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं और किसी भी अलोकतांत्रिक कदम के खिलाफ तुरंत प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार रहते हैं। सोशल मीडिया ने सूचना के प्रसार को तेज कर दिया है, जिससे सरकार के लिए सेंसरशिप लगाना कठिन हो गया है।

थरूर ने यह भी कहा कि राजनीतिक चेतना में वृद्धि हुई है, लोग अब पहले से कहीं अधिक जागरूक हैं और अपने नेताओं से सवाल पूछने में संकोच नहीं करते। उनका यह बयान कांग्रेस पार्टी के भीतर से आया है, जिसने स्वयं इमरजेंसी लागू की थी, और यह दर्शाता है कि पार्टी अब उस ऐतिहासिक गलती को स्वीकार कर रही है। वर्तमान राजनीतिक माहौल में, जहां विपक्ष अक्सर सरकार पर अलोकतांत्रिक होने का आरोप लगाता है, थरूर का यह बयान महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह संदेश दिया है कि भारतीय लोकतंत्र इतना परिपक्व हो चुका है कि उसे आसानी से दबाया नहीं जा सकता।