शिबू सोरेन का अंतिम संस्कार: जानें संथाल समुदाय की विशेषताएँ

शिबू सोरेन का निधन और अंतिम संस्कार
शिबू सोरेन का अंतिम संस्कार: झारखंड के प्रसिद्ध 'दिशोम गुरु' शिबू सोरेन का सोमवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। आज उनके पैतृक गांव नेमरा में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। 'दिशोम गुरु' एक संथाली शब्द है।
संथाल समुदाय का परिचय
झारखंड में देश के तीसरे सबसे बड़े आदिवासी समुदाय संथाली के प्रति शिबू सोरेन का समर्पण अद्वितीय था। आइए जानते हैं कि संथाल समुदाय कौन हैं, ये लोग देश के किन राज्यों में निवास करते हैं और उनकी जीवनशैली क्या है।
संथाल समुदाय की जनसंख्या और इतिहास
70 लाख की जनसंख्या, विद्रोह का इतिहास
भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार, संथाल समुदाय की जनसंख्या लगभग 70 लाख है। ये लोग झारखंड के अलावा बिहार, असम, बांग्लादेश, नेपाल, पश्चिम बंगाल सहित सात राज्यों में रहते हैं। संथाल समुदाय 1855-56 में संथाल हूल विद्रोह के लिए प्रसिद्ध है, जो उनके अधिकारों के लिए लड़ा गया था।
संथाल समुदाय की संस्कृति और संघर्ष
सामुदायिक एकता और भूमि अधिग्रहण के खिलाफ संघर्ष
संथाल समुदाय अपनी परंपराओं और सामुदायिक एकता के लिए जाने जाते हैं। ब्रिटिश शासन के दौरान, उन्होंने जमींदारों और सरकार के खिलाफ बड़े आंदोलन किए। भूमि अधिग्रहण, विस्थापन, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी जैसे मुद्दों पर भी ये समुदाय अक्सर संघर्षरत रहते हैं।
संथाल समुदाय की पहचान और भाषा
प्रकृति और संस्कृति से जुड़ाव, संथाली भाषा
संथाल समुदाय अपनी जीवनशैली और संस्कृति के लिए प्रसिद्ध हैं। ये ऑस्ट्रो-एशियाटिक (मुंडा) भाषा समूह से संबंधित हैं। उनकी मातृभाषा संथाली है, जो भारत की 22 अनुसूचित भाषाओं में शामिल है। ये लोग अपने पारंपरिक धर्म 'सारना' का पालन करते हैं और सूर्य तथा पूर्वजों की पूजा करते हैं।