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श्यामा प्रसाद मुखर्जी की रहस्यमय मृत्यु: क्या है सच्चाई?

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर उनकी रहस्यमय मृत्यु के कारणों की जांच की जा रही है। हाल ही में कोलकाता उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें उनकी मृत्यु की जांच के लिए आयोग की मांग की गई है। क्या उनकी मृत्यु स्वाभाविक थी या कोई साजिश? जानें उनके जीवन, राजनीतिक संघर्ष और मृत्यु के रहस्यों के बारे में।
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श्यामा प्रसाद मुखर्जी की रहस्यमय मृत्यु: क्या है सच्चाई?

श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि

श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि: डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मृत्यु को लगभग 70 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन उनकी मृत्यु के कारण आज भी रहस्य बने हुए हैं। हाल ही में कोलकाता उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें मांग की गई है कि उनकी मृत्यु की जांच के लिए एक आयोग का गठन किया जाए। इससे यह स्पष्ट होगा कि उनकी मृत्यु स्वाभाविक थी या किसी साजिश का परिणाम। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी इस पर संदेह जताया था कि मुखर्जी किसी साजिश का शिकार हुए थे।


मृत्यु के संदर्भ में उठते सवाल

आपको बता दें कि, 1953 में आज ही के दिन भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हुई थी। उनकी मृत्यु के संदर्भ में साजिश के संदेह को समझने के लिए हमें उनके इतिहास में जाना होगा। जुलाई 1901 में कोलकाता के एक प्रतिष्ठित बंगाली परिवार में जन्मे मुखर्जी के पिता आशुतोष मुखर्जी एक प्रसिद्ध शिक्षाविद् थे। पढ़ाई के माहौल में बड़े हुए मुखर्जी ने महज 33 वर्ष की आयु में कोलकाता विश्वविद्यालय के कुलपति का पद संभाला। इसके बाद वे कोलकाता विधानसभा पहुंचे, जहां से उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई, लेकिन मतभेदों के कारण वे अलग होते चले गए।


मुखर्जी का अनुच्छेद 370 के खिलाफ संघर्ष

अनुच्छेद 370 का विरोध करते थे मुखर्जी

मुखर्जी ने हमेशा अनुच्छेद 370 का विरोध किया। वे चाहते थे कि कश्मीर को अन्य राज्यों की तरह भारत का अभिन्न हिस्सा माना जाए और वहां समान कानून लागू हों। इसी कारण जब पंडित नेहरू ने उन्हें अपनी अंतरिम सरकार में मंत्री पद दिया, तो उन्होंने कुछ समय बाद इस्तीफा दे दिया। मुखर्जी ने कश्मीर मुद्दे पर नेहरू पर तुष्टीकरण का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि एक देश में दो झंडे, दो संविधान और दो प्रधान नहीं चल सकते।


मुखर्जी की गिरफ्तारी और स्वास्थ्य

इस्तीफा देने के बाद कश्मीर गए मुखर्जी

इस्तीफा देने के बाद मुखर्जी कश्मीर चले गए। वे चाहते थे कि इस क्षेत्र में जाने के लिए किसी अनुमति की आवश्यकता न हो। नेहरू की नीतियों के विरोध में मुखर्जी ने कश्मीर जाकर अपने विचार व्यक्त करने का प्रयास किया, लेकिन 11 मई 1953 को श्रीनगर में प्रवेश करते ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उस समय शेख अब्दुल्ला की सरकार थी।


मुखर्जी की बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति

मुखर्जी की बिगड़ी तबीयत

एक महीने से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद मुखर्जी की तबीयत खराब होती गई। उन्हें बुखार और पीठ दर्द की समस्या थी। 19 और 20 जून की रात को पता चला कि वे प्ल्यूराइटिस से पीड़ित हैं, जिससे वे पहले भी ग्रस्त रह चुके थे। डॉक्टर अली मोहम्मद ने उन्हें स्ट्रेप्टोमाइसिन का इंजेक्शन दिया, जबकि मुखर्जी ने बताया कि उनके पारिवारिक डॉक्टर ने कहा था कि यह दवा उनके लिए उपयुक्त नहीं है।


मुखर्जी की मृत्यु का कारण

दिल का दौरा पड़ा मुखर्जी को

22 जून को मुखर्जी को सांस लेने में कठिनाई महसूस हुई। जब उन्हें अस्पताल ले जाया गया, तो पता चला कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा है। राज्य सरकार ने घोषणा की कि 23 जून को सुबह 3:40 बजे मुखर्जी का निधन हो गया। अस्पताल में उनकी देखभाल के लिए केवल एक नर्स मौजूद थीं। नर्स ने बाद में बताया कि जब मुखर्जी को दर्द हुआ, तो उन्होंने डॉक्टर को बुलाया, लेकिन कुछ समय बाद उनकी मृत्यु हो गई।