Newzfatafatlogo

श्राद्ध की शुरुआत चंद्र ग्रहण के साथ, जानें महत्वपूर्ण तिथियां

इस वर्ष पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर को चंद्र ग्रहण के साथ हो रही है। यह 14 दिनों की अवधि में चलेगा, जिसमें विभिन्न महत्वपूर्ण तिथियां शामिल हैं। जानें कैसे ग्रहण का प्रभाव आपके श्राद्ध और तर्पण पर पड़ सकता है और इस दौरान क्या करना चाहिए।
 | 
श्राद्ध की शुरुआत चंद्र ग्रहण के साथ, जानें महत्वपूर्ण तिथियां

श्राद्ध की शुरुआत और चंद्र ग्रहण

श्राद्ध की शुरुआत चंद्र ग्रहण के साथ, पंचकूला। हिंदू धर्म में, पितरों की आत्मा की शांति के लिए हर साल 15-16 दिनों की अवधि निर्धारित की जाती है, जिसे पितृ पक्ष कहा जाता है। इस समय के दौरान, लोग अपने दिवंगत पूर्वजों के लिए श्राद्ध, तर्पण और दान करते हैं। सेक्टर-16 के मंदिर के पंडित ललित मोहन के अनुसार, पितृ पक्ष हर साल भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर आश्विन अमावस्या तक चलता है। इस वर्ष, यह 7 सितंबर से शुरू होगा। विशेष बात यह है कि इसका आरंभ चंद्र ग्रहण और समापन सूर्य ग्रहण के साथ होगा, और इस बार इसकी अवधि केवल 14 दिनों की होगी।


पितृपक्ष की महत्वपूर्ण तिथियां

पंचकूला के सेक्टर-11 स्थित मंदिर में आदर्श देवज्ञ ब्राह्मण सभा की बैठक में पितृपक्ष की तिथियों की जानकारी साझा की गई। 7 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा का श्राद्ध होगा, जिसमें नाना-नानी का तर्पण किया जाएगा। 8 सितंबर को प्रतिपदा श्राद्ध, 12 सितंबर को पंचमी और षष्ठी एक साथ, 15 सितंबर को मातृ नवमी, 18 सितंबर को संन्यासियों का श्राद्ध, 20 सितंबर को चतुर्दशी पर दुर्घटना या शस्त्र से मृत लोगों का श्राद्ध और 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या होगी, जिसके साथ विसर्जन होगा।


ग्रहण और सूतक का प्रभाव

पंडित ललित मोहन ने बताया कि 7 सितंबर को चंद्र ग्रहण होगा। दोपहर 1 बजे से सूतक लग जाएगा और रात 9:57 से 1:26 बजे तक ग्रहण काल रहेगा। इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे और 8 सितंबर सुबह 5 बजे गंगाजल से स्नान और आरती के बाद ही खोले जाएंगे। उन्होंने कहा कि सूतक से पहले भोजन की वस्तुओं में तुलसी या कुश डालना चाहिए, ताकि ग्रहण का प्रभाव न पड़े। ग्रहण काल में भगवान का स्मरण और चंद्र मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है। ग्रहण समाप्त होने के बाद सुबह जरूरतमंदों को अन्न और वस्त्र का दान करना चाहिए।