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श्रावण माह के अंतिम सोमवार पर मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़

श्रावण माह के अंतिम सोमवार पर जींद के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली। भक्तों ने भगवान भोलेनाथ की पूजा में भाग लिया और रुद्राभिषेक का आयोजन किया। इस दिन की विशेषता और भक्तों की पूजा विधि के बारे में जानें।
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श्रावण माह के अंतिम सोमवार पर मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़

श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब


  • जयंती देवी मंदिर में श्रद्धालुओं ने किया भगवान आशुतोष का रूद्राभिषेक


(जींद) सावन माह के अंतिम सोमवार को शहर के मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिली। इस वर्ष श्रावण मास की शुरुआत 11 जुलाई को हुई थी और यह 9 अगस्त को पूर्णिमा के साथ समाप्त होगा। इस दौरान चार सोमवार आए, जिससे श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हुई।


सुबह से ही भक्त मंदिरों में पहुंचने लगे और भगवान भोलेनाथ की पूजा में जुट गए। शहर के मध्य स्थित ऐतिहासिक जयंती देवी मंदिर में रूद्राभिषेक का आयोजन किया गया, जहां भक्तों ने दूध, पानी और अन्य सामग्री शिवलिंग पर अर्पित की और सुखद भविष्य की कामना की। भक्तों ने शिव स्तुति, शिव मंत्र, शिव सहस्रनाम, शिव चालीसा, शिव तांडव, रुद्राष्टक, शिव पुराण और शिव आरती का पाठ किया।


श्रावण माह की विशेषता

श्रावण माह को भगवान भोलेनाथ की भक्ति का महीना माना गया


जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि भक्तों ने शिव जी का पंचाक्षर मंत्र 'ओम नम: शिवाय' का जाप किया। श्रावण माह को भगवान भोलेनाथ की भक्ति का महीना माना जाता है। इस दौरान शिवभक्त सच्चे मन से पूजा करते हैं, जिससे उनके कष्ट और पाप दूर हो जाते हैं।


जो भक्त पूरे श्रावण मास में सच्चे मन से जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करते हैं, उन पर भगवान आशुतोष की विशेष कृपा होती है। पुजारी ने कहा कि शिव पुराण की कथा हमें जीवन जीने की कला सिखाती है और हमें भगवान शिव की भक्ति करनी चाहिए ताकि हमारा जीवन सुखमय हो सके।