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संजय भंडारी को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित, वाड्रा पर बढ़ी नजरें

दिल्ली की विशेष अदालत ने संजय भंडारी को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया है, जिससे भारत सरकार की प्रत्यर्पण प्रक्रिया को मजबूती मिली है। भंडारी के लंदन भागने के बाद, ED ने वाड्रा के साथ उनके संबंधों की जांच शुरू की है। वाड्रा ने आरोपों को राजनीतिक प्रतिशोध बताया है। इस मामले में आगे की कार्रवाई और वाड्रा की मुश्किलें बढ़ने की संभावना है। क्या ब्रिटेन भंडारी का प्रत्यर्पण मंजूर करेगा? जानें इस महत्वपूर्ण मामले की पूरी कहानी।
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संजय भंडारी को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित, वाड्रा पर बढ़ी नजरें

दिल्ली की अदालत का महत्वपूर्ण फैसला

राष्ट्रीय समाचार: दिल्ली की एक विशेष अदालत ने शनिवार को संजय भंडारी को भगोड़ा आर्थिक अपराधी के रूप में मान्यता दी है। यह निर्णय हथियारों की डीलिंग से संबंधित मामलों में चल रही जांच के संदर्भ में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की याचिका पर सुनवाई के बाद आया। अदालत ने 'भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018' के तहत यह आदेश दिया, जिससे भंडारी के ब्रिटेन से प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को कानूनी मजबूती मिली है। उल्लेखनीय है कि भंडारी 2016 में लंदन भाग गया था, जब उस पर वित्तीय अनियमितताओं की जांच शुरू हुई थी।


भंडारी की गिरफ्तारी की संभावना

भंडारी ने 2016 में लंदन में शरण ली थी, जब ED और अन्य एजेंसियों ने उसकी संपत्तियों में संदिग्ध लेन-देन का पता लगाया। अदालत के इस आदेश से भारत सरकार की स्थिति मजबूत हुई है, जिससे प्रत्यर्पण प्रक्रिया में तेजी आने की उम्मीद है। रॉबर्ट वाड्रा का नाम भी इस मामले में उभरकर सामने आया है, क्योंकि आरोप है कि उनके पैसे से लंदन में संपत्ति खरीदी गई थी। ED ने 2023 में एक आरोप-पत्र दाखिल किया था, जिसमें वाड्रा और भंडारी के बीच संबंधों का उल्लेख किया गया था।


वाड्रा पर ED की नजर

वाड्रा पर बढ़ती निगाहें

ED की हालिया कार्रवाई ने वाड्रा पर दबाव बढ़ा दिया है। भंडारी से पूछताछ के साथ-साथ एजेंसी अब वाड्रा से भी सवाल-जवाब करना चाहती है। पिछले महीने जारी समन का वाड्रा ने जवाब नहीं दिया, कोविड का बहाना बनाते हुए। अब सीधे पूछताछ का समय आ गया है, क्योंकि आरोप है कि हजारों करोड़ों का लेन-देन इसी नेटवर्क के माध्यम से हुआ था।


2009 की संपत्ति विवाद

2009 लंदन संपत्ति विवाद

यह मामला 2009 में हुई एक खरीदारी से संबंधित है, जिसमें 'रेड लिस्ट' में दर्ज ब्रिटिश संपत्ति शामिल है। ED का दावा है कि इस संपत्ति पर खर्च किया गया धन सीधे वाड्रा के फंड से आया था। भंडारी ने संपत्ति के नवीनीकरण के नाम पर बड़ी रकम खर्च की, जिसे 'पैसा लाने का रास्ता' बताया गया।


प्रत्यर्पण की प्रक्रिया में तेजी

प्रत्यर्पण आसान बना रास्ता

विशेष अदालत के आदेश के बाद भारत सरकार की प्रत्यर्पण याचिका को और मजबूती मिली है। अब यह मामला इंटरपोल और ब्रिटिश सरकार के समक्ष मजबूती से प्रस्तुत किया जा सकेगा, जिससे 2016 से लंदन में रह रहे भंडारी को वापस लाने में मदद मिल सकती है।


वाड्रा का बयान

वाड्रा ने किया इंकार

वाड्रा ने सभी आरोपों को 'राजनीतिक प्रतिशोध' करार दिया है। उन्होंने कहा कि वह बीजेपी की 'राजनीतिक दमन' का शिकार हो रहे हैं। इन आरोपों को उन्होंने राजनीति से प्रेरित बताते हुए खारिज किया और कहा कि यह उनके राजनीतिक करियर को नुकसान पहुंचाने की साजिश है।


राजनीतिक साज़िश की आशंका

राजनीतिक साज़िश आशंका

विश्लेषकों का मानना है कि इस पूरे मामले में पार्टी-राजनीति का प्रभाव स्पष्ट है। ED की कार्रवाई समयबद्ध है और वाड्रा-भंडारी संबंध पर नए सबूत सामने आ सकते हैं, जिससे आगामी चुनावी परिदृश्य में हलचल आ सकती है।


भविष्य की चुनौतियाँ

आगे की राह और फोकस

अब सवाल यह है कि क्या ब्रिटेन प्रत्यर्पण को मंजूरी देगा? और ED कितनी जल्दी भंडारी को वापस लाने में सक्षम होगी? साथ ही, वाड्रा की मुश्किलें कितनी बढ़ेंगी? आने वाले समय में इन सवालों के जवाब राष्ट्रीय राजनीति में नई हलचल ला सकते हैं।