संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी: संघर्ष क्षेत्रों में भोजन का हथियारकरण बढ़ रहा है

संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में भोजन का हथियारकरण
संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में संघर्ष क्षेत्रों में 'भोजन के हथियारकरण' के बढ़ते खतरे के बारे में गंभीर चेतावनी दी है। गाजा और यूक्रेन जैसे क्षेत्रों में यह प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। 'भोजन के हथियारकरण' का तात्पर्य है जानबूझकर भूख को युद्ध की रणनीति के रूप में अपनाना। इसमें मानवीय सहायता को रोकना, कृषि भूमि को नष्ट करना, आवश्यक खाद्य संसाधनों तक पहुंच को बाधित करना, या लोगों को भोजन उगाने या प्राप्त करने से रोकना शामिल है।गाजा में इज़रायल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष के कारण गंभीर खाद्य संकट और अकाल जैसी स्थितियों की कई रिपोर्टें सामने आई हैं। मानवीय सहायता संगठनों को नाकाबंदी और असुरक्षा के चलते पर्याप्त आपूर्ति पहुंचाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे एक गंभीर मानवीय संकट उत्पन्न हो गया है।
इसी प्रकार, यूक्रेन में रूस के आक्रमण ने कृषि उत्पादन को बाधित किया है, बुनियादी ढांचे को नष्ट किया है और अनाज के निर्यात को रोक दिया है। इससे वैश्विक खाद्य असुरक्षा में वृद्धि हुई है और स्थानीय जनसंख्या पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी इस बात पर जोर देती है कि ऐसे कार्य अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन करते हैं, जो नागरिकों को युद्ध के दौरान भूख को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने पर सख्त प्रतिबंध लगाता है। यह नागरिक आबादी, विशेष रूप से बच्चों सहित सबसे कमजोर लोगों पर इसके विनाशकारी प्रभाव को उजागर करता है। अंतरराष्ट्रीय निकाय सभी संघर्षरत पक्षों से अपील कर रहा है कि वे अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अपने दायित्वों का पालन करें और जरूरतमंदों तक मानवीय सहायता की निर्बाध पहुंच सुनिश्चित करें।