संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक दिवस: भारत ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि

भावपूर्ण श्रद्धांजलि समारोह
77वें संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक दिवस के अवसर पर आज राष्ट्रीय समर स्मारक पर एक भावुक पुष्पांजलि समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में उन साहसी भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी गई, जिन्होंने विश्वभर में संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों के दौरान अपने प्राणों का बलिदान दिया। इस अवसर पर उपसेनाध्यक्ष (सूचना प्रणाली एवं समन्वय) लेफ्टिनेंट जनरल राकेश कपूर ने शांति सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
भारत की वैश्विक शांति में भूमिका
इस समारोह में भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी और संयुक्त राष्ट्र मिशनों में कार्यरत सैन्य प्रतिनिधि भी शामिल हुए, जो भारत की वैश्विक शांति और सुरक्षा के प्रति अडिग प्रतिबद्धता का प्रतीक हैं। भारत ने संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में सबसे बड़ा सैनिक योगदान दिया है, जिसमें 2 लाख से अधिक भारतीय सैनिकों ने 49 मिशनों में सेवा की है और 179 वीर सैनिक कर्तव्य के दौरान शहीद हुए हैं।
वीरता और समर्पण की याद
वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि
लेफ्टिनेंट जनरल राकेश कपूर ने शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि यह अवसर उन बहादुर जवानों को याद करने का है जिन्होंने मानवता की सेवा में अपने प्राणों का बलिदान दिया। उनके साहस, समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा को हम हमेशा याद रखेंगे। इस समारोह में मौन व्रत और राष्ट्रगान के साथ श्रद्धांजलि दी गई, जो शांति स्थापना में भारतीय भूमिका को सम्मानित करता है.
भारत की शांति स्थापना में अग्रणी भूमिका
शांति स्थापना में भारत की अग्रणी भूमिका
भारत हमेशा से संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों में एक मजबूत स्तंभ रहा है। अब तक भारत के 2 लाख से अधिक सैनिकों ने विभिन्न महाद्वीपों में 49 शांति अभियानों में भाग लिया है। इन अभियानों में भारतीय सैनिकों ने ना केवल युद्धग्रस्त क्षेत्रों में शांति स्थापित की, बल्कि स्थानीय समुदायों को सुरक्षा, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं भी प्रदान कीं। भारत का यह योगदान ना केवल सैन्य बल के रूप में बल्कि एक नैतिक शक्ति के रूप में भी देखा जाता है.
शहीदों की शौर्यगाथा
179 शहीदों की शौर्यगाथा
भारत के 179 शांति सैनिकों ने संयुक्त राष्ट्र की सेवा करते हुए वीरगति पाई है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि भारत ने विश्व शांति के लिए केवल भागीदारी ही नहीं दिखाई, बल्कि सर्वोच्च बलिदान भी दिया है। हर शहीद का नाम हमारे राष्ट्रीय गौरव की गाथा है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा.