संविधान की अदृश्य आत्मा: गजेन्द्र सिंह शेखावत का महत्वपूर्ण संदेश
संविधान की अदृश्य आत्मा
- अंग्रेजों के आक्रमण से अधिक नुकसान आजादी के बाद हुआ है।
- भारत की शाश्वत शक्ति को दूषित मानसिकता से नुकसान पहुँचाने वाले हमेशा सक्रिय रहे हैं।
- भारत आज फिर से अपनी संस्कृति और इतिहास को पुनः स्थापित कर रहा है।
गजेन्द्र सिंह शेखावत, पानीपत: अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना द्वारा आयोजित तीन दिवसीय अधिवेशन में केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि संविधान भारत की अदृश्य आत्मा है, और इसे तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि भारत ने आक्रमणों के बावजूद अपनी संस्कृति को बनाए रखा है।
60 से 65 वर्षों में भारत को हुए नुकसान
शेखावत ने कहा कि अंग्रेजों ने भारत पर डेढ़ सौ साल तक आक्रमण किया, लेकिन आजादी के बाद 60 से 65 वर्षों में जो नुकसान हुआ, उसे सुधारने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि भारत की नदियों की तरह, सभी लोग एकजुट होकर मिलन की भावना को महसूस कर रहे हैं।
भारतीय इतिहास की चेतना
उन्होंने कहा कि हमें अपने आदर्श भारत की जिम्मेदारी समझनी चाहिए। 50 वर्ष पहले यह सोचना भी कठिन था कि भारत एक राष्ट्रीय पुनर्जागरण के दौर से गुजरेगा, जिसमें भारतीय संस्कृति का इतिहास प्रमुख होगा। भारतीय इतिहास एक जीवंत प्रवाह है।
संविधान और संस्कृति का संबंध
शिक्षा मंत्रालय के अध्यक्ष प्रो. राघुवेंद्र तंवर ने कहा कि संविधान को समझने के लिए भारत और उसकी संस्कृति को समझना आवश्यक है। विभाजन ने भारतीय समाज को तोड़ दिया है। अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के मुख्य संरक्षक गोपाल नारायण सिंह ने कहा कि इतिहास को पुनः संकलित करने का प्रयास सराहनीय है।
आगामी शोध-पत्रों का वाचन
आगामी दो दिनों में लगभग 230 शोध-पत्रों का वाचन किया जाएगा। डॉ. देवी प्रसाद सिंह ने कहा कि संविधान को भारतीय संस्कृति से अलग नहीं देखा जा सकता। इस कार्यक्रम में हरियाणा की महिलाएं पारंपरिक परिधान में लोगों का स्वागत कर रही थीं, जो आकर्षण का केंद्र बनीं।
उपस्थित गणमान्य व्यक्ति
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-सरकार्यवाह सुरेश सोनी, शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा, विधायक प्रमोद विज, और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
