Newzfatafatlogo

संविधान संशोधन विधेयक पर विपक्ष का बहिष्कार, जेपीसी में नहीं होगी भागीदारी

संविधान के 130वें संशोधन विधेयक पर विपक्षी दलों ने जेपीसी में भागीदारी से इनकार कर दिया है। कांग्रेस ने भी इस बहिष्कार में शामिल होने का निर्णय लिया है, जिससे संसद में पूरा विपक्ष एकजुट हो गया है। अब सवाल यह है कि क्या सरकार इस संशोधन पर आगे बढ़ेगी या इसे छोड़ देगी। जानें इस मुद्दे पर सरकार की रणनीति और विपक्ष की प्रतिक्रिया के बारे में।
 | 
संविधान संशोधन विधेयक पर विपक्ष का बहिष्कार, जेपीसी में नहीं होगी भागीदारी

संविधान के 130वें संशोधन पर विपक्ष का रुख

यह अब स्पष्ट हो चुका है कि संविधान के 130वें संशोधन विधेयक पर विचार के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में विपक्षी दलों की भागीदारी नहीं होगी। यह संशोधन मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्री को गिरफ्तारी के 30 दिन बाद पद से हटाने का प्रावधान करता है। मानसून सत्र के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस संबंध में तीन विधेयक पेश किए, और उसी दिन लोकसभा ने इसे जेपीसी में भेजने का प्रस्ताव पारित किया। लगभग एक महीने बाद, स्पीकर ओम बिरला ने सभी दलों को जेपीसी के लिए सांसदों के नाम सुझाने के लिए पत्र लिखा। लेकिन इससे पहले ही तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी और उद्धव ठाकरे की शिवसेना जैसी विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध किया और जेपीसी में शामिल होने से मना कर दिया।


कांग्रेस का बहिष्कार का निर्णय

मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पर दबाव था कि वह अन्य विपक्षी दलों के साथ जेपीसी में शामिल हो। हालांकि, कई अन्य विपक्षी दल कांग्रेस के निर्णय का इंतजार कर रहे थे। 'इंडिया' ब्लॉक में शामिल डीएमके, राजद, झारखंड मुक्ति मोर्चा आदि ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया था। लेकिन अब कांग्रेस ने यह तय कर लिया है कि वह भी जेपीसी का बहिष्कार करेगी। कांग्रेस ने कहा है कि सभी विपक्षी दलों की राय जेपीसी का बहिष्कार करने की है, इसलिए वह इससे बाहर नहीं जा सकती। कांग्रेस के इस निर्णय के बाद उसकी सहयोगी पार्टियां भी इसमें शामिल नहीं होंगी। इस प्रकार, संसद में पूरा विपक्ष सरकार द्वारा लाए गए इस विधेयक के खिलाफ एकजुट हो गया है और जेपीसी का बहिष्कार कर रहा है।


सरकार का आगे का रास्ता

अब सवाल यह उठता है कि आगे क्या होगा? क्या सरकार संविधान संशोधन का विचार छोड़ देगी? ऐसा होने की संभावना कम है, क्योंकि सरकार ने पहले ही इस मुद्दे पर एक नैरेटिव तैयार करना शुरू कर दिया है। सरकार और सत्तारूढ़ गठबंधन का कहना है कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, इसलिए वे नहीं चाहते कि ऐसा कोई कानून बने जिससे उन्हें सत्ता गंवानी पड़े। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना नाम लिए दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का हवाला देते हुए कहा है कि देश ने देखा है कि कैसे जेल से सरकार चलाई जा रही थी। इस आधार पर उन्होंने यह दावा किया है कि अब जेल से सरकार नहीं चलाने दी जाएगी।


जेपीसी का गठन या विधेयक का सीधा पेश होना

इससे यह स्पष्ट है कि सरकार विपक्ष को भ्रष्टाचार में शामिल बताकर इस संशोधन का समर्थन करेगी। अब यह देखना होगा कि क्या स्पीकर सरकार के समर्थक दलों को शामिल करके जेपीसी का गठन करते हैं या फिर जेपीसी का विचार छोड़कर सरकार सीधे विधेयक को संसद में पेश करती है। स्पीकर चाहें तो भाजपा, जनता दल यू, तेलुगू देशम पार्टी, शिवसेना, एनसीपी, बीजू जनता दल, अन्ना डीएमके, वाईएसआर कांग्रेस, बीआरएस जैसी पार्टियों को शामिल करके जेपीसी बना सकते हैं। ध्यान रहे कि जेपीसी में पार्टियों के सांसदों के अलावा विषय के जानकारों और गैर सरकारी संगठनों के लोगों को भी बुलाकर विचार-विमर्श किया जाता है। यदि ऐसा निर्णय नहीं लिया जाता है, तो सरकार अगले सत्र में नए सिरे से विधेयक पेश कर सकती है।