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संसद का मानसून सत्र: सुरक्षा मुद्दों पर होगी खुली चर्चा

संसद का आगामी मानसून सत्र 21 जुलाई से 12 अगस्त 2025 तक आयोजित होगा, जिसमें 'ऑपरेशन सिंदूर' और कश्मीर में आतंकी घटनाओं पर चर्चा की जाएगी। सरकार ने विपक्ष के सवालों का सामना करने की तैयारी की है। इस सत्र में विधायी कार्यों के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर भी बहस होने की संभावना है। विपक्ष ने विशेष सत्र की मांग की है, लेकिन सरकार ने अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है।
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संसद का मानसून सत्र: सुरक्षा मुद्दों पर होगी खुली चर्चा

महत्वपूर्ण मानसून सत्र की तारीखें

संसद का अगला मानसून सत्र 21 जुलाई से 12 अगस्त 2025 तक आयोजित किया जाएगा, और यह सत्र विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह सत्र घाटी में 'ऑपरेशन सिंदूर' और पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पहली बार होगा। देश में सुरक्षा के बदलते हालात के बीच, संसद में इस पर खुलकर चर्चा होने की संभावना है।


सरकार की तैयारियों का संकेत

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने स्पष्ट किया है कि सरकार विपक्ष के तीखे सवालों से भागने का इरादा नहीं रखती। उन्होंने कहा कि संसद के नियमों के अनुसार किसी भी मुद्दे पर चर्चा की जा सकती है। यह बयान विपक्ष के हमलों के जवाब में सरकार की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। यह स्पष्ट है कि सरकार संसद में बहस से पीछे नहीं हटेगी, चाहे वह 'ऑपरेशन सिंदूर' हो या कश्मीर में आतंकी घटनाएं।


राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में बैठक

तारीखों का निर्धारण

संसद सत्र की तारीखों का निर्णय कैबिनेट कमेटी ऑन पार्लियामेंट्री अफेयर्स की बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की। रिजिजू ने बताया कि इस सत्र में कई महत्वपूर्ण विधायी कार्यों के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा की संभावना है।


विपक्ष की विशेष सत्र की मांग

विपक्ष की आवाज़

विपक्ष, विशेषकर कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और कुछ क्षेत्रीय दलों ने सरकार से अनुरोध किया है कि जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमलों और ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में विस्तृत चर्चा कराई जाए। हालांकि, सरकार ने अभी तक विशेष सत्र बुलाने का कोई संकेत नहीं दिया है, लेकिन मानसून सत्र में इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण बहस होने की संभावना है।


राष्ट्रीय सुरक्षा पर संभावित बहस

सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा

'ऑपरेशन सिंदूर' में भारतीय सेना की कार्रवाई और पाकिस्तान पर बने दबाव के संदर्भ में, सरकार विपक्ष के सवालों का जवाब देने की तैयारी कर सकती है। इस बार का सत्र केवल विधेयकों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकी गतिविधियों और भारत की सैन्य नीति जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भी चर्चा होगी।