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संसद के शीतकालीन सत्र के बाद चाय पर चर्चा: सत्ता और विपक्ष का मिलन

बुधवार को संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त होने के बाद, सत्ता और विपक्ष के नेताओं ने चाय पर अनौपचारिक चर्चा की। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के बीच सकारात्मक बातचीत हुई। नेताओं ने नए संसद भवन में एक विशेष हॉल की मांग की और सत्र की उपयोगिता पर चर्चा की। यह चाय पार्टी संसदीय संवाद का प्रतीक मानी जा रही है, जो राजनीतिक हलकों में सकारात्मक संकेत के रूप में देखी जा रही है।
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संसद के शीतकालीन सत्र के बाद चाय पर चर्चा: सत्ता और विपक्ष का मिलन

संसद सत्र का समापन और चाय पर चर्चा


बुधवार को संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त हुआ, जिसके बाद संसद परिसर में एक नई राजनीतिक तस्वीर उभरी। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी सहित सत्ता और विपक्ष के कई सांसद एक साथ दिखाई दिए।


इस अवसर पर संसद के कार्यों और सत्र की गतिविधियों पर चाय पर अनौपचारिक चर्चा हुई। इस बैठक की तस्वीरें और वीडियो सामने आए हैं, जिनमें सत्ता और विपक्ष के कई प्रमुख नेता एक मंच पर नजर आ रहे हैं। चाय चर्चा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, नागर विमानन मंत्री राम मोहन नायडू, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान, ललन सिंह, किरण रिजिजू, अर्जुनराम मेघवाल, एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले, समाजवादी पार्टी सांसद राजीव राय, धर्मेंद्र यादव, और डीएमके सांसद ए राजा जैसे कई प्रमुख नेता शामिल थे।


सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी और प्रियंका गांधी के बीच वायनाड के मुद्दे पर सकारात्मक बातचीत हुई। बैठक के दौरान सदस्यों ने प्रधानमंत्री के सामने नए संसद भवन में एक विशेष हॉल की मांग की। इस पर एक वरिष्ठ मंत्री ने कहा कि पुराने संसद भवन में भी ऐसी व्यवस्था थी, लेकिन उसका उपयोग बहुत कम होता था। सदस्यों ने यह भी बताया कि सत्र काफी उपयोगी रहा, लेकिन इसे और बढ़ाया जा सकता था, क्योंकि देर रात तक विधेयक पारित करना उचित नहीं माना जाता। हल्के-फुल्के अंदाज में यह भी कहा गया कि विपक्ष के लगातार विरोध प्रदर्शन के कारण सत्र अपेक्षाकृत छोटा रहा। इस पर प्रधानमंत्री ने मजाक में कहा कि वह विपक्ष की आवाज़ों पर ज्यादा जोर नहीं देना चाहते थे।


वास्तव में, संसद सत्र के समापन के बाद प्रधानमंत्री द्वारा चाय पार्टी आयोजित करने की परंपरा रही है, जिसमें सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्षी दलों को भी आमंत्रित किया जाता है। इसे संसदीय लोकतंत्र में संवाद और सौहार्द का प्रतीक माना जाता है। पिछले मॉनसून सत्र के समापन पर भी चाय पार्टी का आयोजन हुआ था, लेकिन उस समय केवल सत्ताधारी गठबंधन के नेताओं ने भाग लिया था। कांग्रेस समेत प्रमुख विपक्षी दलों ने उस चाय पार्टी का बहिष्कार किया था। अब शीतकालीन सत्र के बाद सभी दलों के नेताओं का एक साथ चाय पर चर्चा करना राजनीतिक हलकों में सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है।