सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच नया सुरक्षा समझौता: क्या है इसका महत्व?

सऊदी अरब और पाकिस्तान का ऐतिहासिक समझौता
बुधवार को रियाद के यमामा पैलेस में एक महत्वपूर्ण घटना घटी, जब सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने 'स्ट्रेटेजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट' (एसएमडीए) पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के तहत, यदि किसी एक देश पर हमला होता है, तो इसे दोनों देशों पर हमला माना जाएगा। विशेषज्ञ इसे केवल एक औपचारिक दस्तावेज नहीं, बल्कि दोनों देशों की सुरक्षा चिंताओं का एक साझा समाधान मानते हैं।
भारत की तुलना में पाकिस्तान की कमजोर स्थिति
परमाणु शक्ति के बावजूद भारत से कमजोर
पाकिस्तान के पास लगभग 170 परमाणु हथियार हैं, लेकिन पारंपरिक युद्ध क्षमता में वह भारत से काफी पीछे है। ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स 2025 के अनुसार, भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी सैन्य शक्ति है, जबकि पाकिस्तान 12वें स्थान पर है। भारत के पास 14.6 लाख सक्रिय सैनिक, 11.5 लाख रिजर्व फोर्स, 4,200 टैंक और 2,200 से अधिक लड़ाकू विमान हैं। इसके विपरीत, पाकिस्तान के पास केवल 6.5 लाख सक्रिय सैनिक, 5 लाख रिजर्व फोर्स, 2,600 टैंक और 1,400 विमान हैं।
सऊदी अरब की सुरक्षा चिंताएँ
सऊदी अरब की सुरक्षा दुविधा
सऊदी अरब लंबे समय से ईरान को खतरा मानता आया है, और हाल की घटनाओं ने इजरायल को उसकी प्रमुख चिंता बना दिया है। 9 सितंबर 2025 को कतर में इजरायली एयरस्ट्राइक ने अरब देशों को झकझोर दिया। अमेरिका के सबसे बड़े मिडिल ईस्ट एयरबेस होने के बावजूद कतर को हमले से नहीं बचाया जा सका, जिससे खाड़ी देशों का अमेरिकी सुरक्षा गारंटी पर भरोसा कमजोर हुआ। सऊदी को महसूस हुआ कि उसे एक वैकल्पिक सैन्य सहारा की आवश्यकता है।
सऊदी-पाकिस्तान संबंधों का नया मोड़
पुराना रिश्ता, नई दिशा
सऊदी अरब और पाकिस्तान दशकों से सैन्य और आर्थिक सहयोग करते आ रहे हैं। पाकिस्तान ने 1970 के दशक से सऊदी को सैन्य सहायता प्रदान की है, जबकि सऊदी ने पाकिस्तान को वित्तीय सहयोग और उसके परमाणु कार्यक्रम में मदद की थी। अब, दोनों देशों ने इस रिश्ते को औपचारिक सुरक्षा गठबंधन का रूप दे दिया है। समझौते में यह स्पष्ट है कि वे किसी भी आक्रामकता का मिलकर जवाब देंगे। सऊदी को पाकिस्तान की सैन्य ताकत और परमाणु छत्र का लाभ मिलेगा, जबकि पाकिस्तान को आर्थिक सहयोग और कूटनीतिक समर्थन।
क्षेत्रीय संतुलन पर प्रभाव
क्षेत्रीय संतुलन पर असर
यह समझौता अरब देशों की इजरायल-विरोधी नाराजगी और पाकिस्तान की भारत के प्रति चिंता से उपजा है। हालांकि, भारत और सऊदी के संबंध भी मजबूत हो रहे हैं। फिर भी, यह डील मध्यपूर्व की रणनीतिक तस्वीर को बदल सकती है। विश्लेषकों का मानना है कि यह समझौता दोनों देशों की साझा सुरक्षा जरूरतों से उत्पन्न हुआ है। पाकिस्तान को भारत से संतुलन चाहिए और सऊदी को ईरान-इजरायल के खतरे से सुरक्षा।