समुद्री कछुओं की सुरक्षा के लिए टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस का अनिवार्य उपयोग

टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस: मछुआरों के लिए लाभदायक
टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस (TED): मछुआरों को मिलेगा दोहरा लाभ, समुद्री कछुओं की सुरक्षा भी सुनिश्चित: अब भारत में ट्रॉल बोट्स में टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस का उपयोग अनिवार्य कर दिया गया है। यह उपकरण न केवल समुद्री कछुओं की जान बचाने में सहायक है, बल्कि मछुआरों को भी बेहतर मछली पकड़ने में मदद करता है। इस डिवाइस की सहायता से जाल में केवल मछलियां फंसती हैं, जबकि बड़े जीव जैसे कछुए सुरक्षित रूप से बाहर निकल जाते हैं।
इस तकनीक के लागू होने से विशेष रूप से ओडिशा के समुद्र तटों पर पाए जाने वाले ओलिव रिडले कछुओं की संख्या को बचाने में मदद मिलेगी। पहले ये कछुए गलती से जाल में फंस जाते थे और उनकी जान चली जाती थी। अब सरकार ने समुद्री कछुओं की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
कौन से राज्यों में लागू होगा TED?
भारत के 9 तटीय राज्यों—गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस का उपयोग अनिवार्य किया गया है। इनमें से कई राज्यों ने पहले ही ट्रॉल बोट्स में इस तकनीक को लागू करना शुरू कर दिया है।
आंध्र प्रदेश और केरल जैसे राज्यों में मछुआरे अब इस तकनीक को अपनाने लगे हैं। इससे न केवल समुद्री जीवन की रक्षा होगी, बल्कि मछुआरों को भी अधिक और बेहतर गुणवत्ता की मछली प्राप्त होगी। यह sustainable fishing India की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
सरकार की सहायता और सब्सिडी
इस उपकरण को ICAR-CIFT द्वारा विकसित किया गया है, जिसकी लागत लगभग ₹23,485 है। लेकिन मछुआरों को यह खर्च नहीं उठाना पड़ेगा। PMMSY subsidy के तहत केंद्र और राज्य सरकारें इसकी लागत साझा कर रही हैं।
इसके अलावा, MPEDA और राज्य मत्स्य विभाग मछुआरों को इसका सही उपयोग सिखा रहे हैं। जागरूकता अभियान चलाकर TED awareness campaign को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि हर मछुआरा इस तकनीक का लाभ उठा सके।