सरसों की खेती: जानें उपयुक्त किस्में और देखभाल के तरीके

सरसों की खेती का महत्व
जानें बुआई का समय और देखभाल
सरसों एक महत्वपूर्ण तिलहन फसल है, जो भारत के विभिन्न राज्यों जैसे राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में उगाई जाती है। किसान इस फसल से अच्छा लाभ कमा सकते हैं। सरसों के पत्तों का उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता है, जो सर्दियों में पंजाब में लोकप्रिय है। सरसों की बुआई का सही समय मध्य सितंबर से मध्य अक्टूबर तक होता है।
बुआई और देखभाल के तरीके
बुआई के लगभग 3-4 महीने बाद फसल तैयार हो जाती है। यह ठंडी जलवायु में अच्छी तरह उगती है और इसकी पैदावार कई जैविक और रासायनिक कारकों पर निर्भर करती है। सरसों की खेती के लिए मिट्टी का सही होना आवश्यक है, जिसमें अच्छी जल निकासी होनी चाहिए। मिट्टी का पीएच मान 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
बीज की दर और बुआई की प्रक्रिया
सरसों की बुआई से पहले खेत को अच्छी तरह से जुताई करनी चाहिए। खेत को समतल करने के लिए एक या दो बार हल से जुताई करें। बीज की दर लगभग 1.5 से 2 किलोग्राम प्रति एकड़ होनी चाहिए, और बीजों की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।
खाद और सिंचाई का ध्यान रखें
बुआई से पहले खेत में 20-25 टन गोबर की खाद डालें। रासायनिक उर्वरक के रूप में 60 किलो नाइट्रोजन, 30 किलो फास्फोरस और 30 किलो पोटाश प्रति एकड़ का उपयोग करें। पहली सिंचाई 25 से 30 दिन के भीतर करनी चाहिए।
खरपतवार नियंत्रण
खेत में खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए बुआई के तुरंत बाद 2 से 3 दिन के भीतर पेंडीमेथालीन 30 ईसी का छिड़काव करें।
कटाई और उत्पादन
सरसों की फसल की कटाई तब करनी चाहिए जब फलियां 75 प्रतिशत सुनहरी हो जाएं। कटाई हाथ से या मशीन से की जा सकती है। सुखाने के बाद बीजों को भंडारण करना चाहिए।
उत्पादन की संभावनाएं
सिंचाई की उचित व्यवस्था वाले खेतों में 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन हो सकता है।
प्रमुख सरसों की किस्में
पूसा सरसों 25, पूसा अग्रणी, पूसा तारक, पूसा महक, और पूसा 22 जैसी किस्में 107 से 120 दिनों में तैयार होती हैं।