सर्दियों में बच्चों में निमोनिया का खतरा बढ़ा, स्वास्थ्य विभाग ने शुरू किया जागरूकता अभियान
करनाल में निमोनिया के मामले बढ़ रहे हैं
करनाल (विश्व निमोनिया दिवस)। ठंड के मौसम में सुबह और शाम की ठंडक महसूस की जा रही है। बच्चों में फ्लू या सर्दी-जुकाम के कारण फेफड़ों की कमजोरी बढ़ रही है, जिससे पांच साल से कम उम्र के बच्चे इस संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हो रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सर्दियों में निमोनिया के मामलों में वृद्धि होती है, क्योंकि ठंड और कम तापमान से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है। इस मौसम में लोग घर के अंदर अधिक समय बिताते हैं, जिससे वायरस और बैक्टीरिया के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
जिले में 77 बच्चों में निमोनिया की पुष्टि
जिले में अब तक पांच वर्ष तक के 77 बच्चों में निमोनिया की पुष्टि हो चुकी है। हर साल देश में लगभग 10 लाख बच्चों की मौत निमोनिया के कारण होती है, जबकि राज्य में लगभग पांच लाख मामले दर्ज होते हैं। इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने 12 से 28 फरवरी 2026 तक एक विशेष सांस कार्यक्रम शुरू करने की योजना बनाई है।
स्वास्थ्य विभाग का जागरूकता कार्यक्रम
इस कार्यक्रम का शुभारंभ सिविल सर्जन डॉ. पूनम चौधरी द्वारा आज जिला नागरिक अस्पताल से किया जाएगा। उप-सिविल सर्जन डॉ. शशि गर्ग ने बताया कि इस पहल में रोकथाम, पहचान और उपचार पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए तीन चरणों में टीकाकरण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अभिभावकों को घरेलू उपचार में समय बर्बाद नहीं करना चाहिए, बल्कि जैसे ही बच्चे में तेज बुखार, खांसी, सांस लेने में कठिनाई, छाती धंसना या नथुनों का फूलना जैसे लक्षण दिखें, तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
निमोनिया के खिलाफ अभियान
सीएमओ डॉ. पूनम चौधरी ने बताया कि यह कार्यक्रम 'निमोनिया नहीं तो बचपन सही' के नारे के साथ चलाया जाएगा। एएनएम और आशा कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर अभिभावकों को निमोनिया की पहचान और उपचार के बारे में जानकारी देंगी। उन्होंने कहा कि सर्दियों में बच्चों को गर्म कपड़े पहनाना, घर में धुआं न होने देना और हाथों की सफाई रखना बहुत आवश्यक है। बच्चों को समय पर टीकाकरण करवाना और छह महीने तक केवल मां का दूध पिलाना चाहिए ताकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनी रहे।
निमोनिया के प्रमुख कारण
ठंड के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी
घर के अंदर बंद माहौल में वायरस और बैक्टीरिया का फैलाव
पहले से मौजूद बीमारियों जैसे मधुमेह और फेफड़ों की बीमारी से खतरा बढ़ना
फ्लू या सर्दी-जुकाम से फेफड़ों की कमजोरी
धूम्रपान से श्वसन प्रणाली को नुकसान
निमोनिया से बचाव के उपाय
बार-बार हाथ धोएं और खांसते-छींकते समय मुंह ढकें
धूम्रपान से बचें, क्योंकि यह फेफड़ों को कमजोर करता है
फ्लू और निमोनिया के टीके लगवाएं, खासकर बच्चों और बुजुर्गों को
संतुलित आहार और नियमित व्यायाम से रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखें
निमोनिया के कारण
जिला नागरिक अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. कुलबीर ने बताया कि निमोनिया मुख्य रूप से बैक्टीरिया, वायरस या फंगस जैसे रोगाणुओं के कारण होता है, जो फेफड़ों में संक्रमण और सूजन पैदा करते हैं। ये रोगाणु फेफड़ों में हवा की छोटी-छोटी थैलियों (एल्वियोली) को प्रभावित करते हैं, जिससे उनमें तरल पदार्थ भर जाता है और सांस लेना कठिन हो जाता है।
