सर्दियों में हथिनियों के लिए विशेष आहार: यमुना नगर का हाथी पुनर्वास केंद्र
यमुना नगर में हाथी पुनर्वास केंद्र की तैयारी
यमुना नगर (Yamuna Nagar News)। हरियाणा के पहले चौ. सुरेंद्र सिंह हाथी पुनर्वास केंद्र, बनसंतौर में रहने वाली चार हथिनियों - चंचल, लिली, लक्ष्मी वन और लक्ष्मी टू - को अब सर्दियों में विशेष आहार मिलेगा। एक दिसंबर से इन हथिनियों की डाइट में बदलाव किया जाएगा, जिसमें बाजरे की खिचड़ी और च्यवनप्राश शामिल होंगे। इसके साथ ही, उन्हें गुड़ भी दिया जाएगा ताकि वे ठंड से सुरक्षित रह सकें। हर साल मौसम के अनुसार उनकी डाइट में परिवर्तन किया जाता है।
हाथियों की देखभाल के लिए विशेष प्रबंध
वन्य प्राणी विभाग यमुनानगर के इंस्पेक्टर लीलूराम ने बताया कि सर्दियों में चारों हथिनियों की डाइट में बदलाव किया जा रहा है। उन्हें ठंड से बचाने के लिए बाजरे की खिचड़ी, च्यवनप्राश और गुड़ दिया जाएगा। इसके अलावा, हथिनियों की देखभाल के लिए चार महावत भी नियुक्त किए गए हैं।
सर्दियों में दी जाने वाली डाइट
मूंगफली और तिल का तेल भी शामिल
हाथी पुनर्वास केंद्र में सर्दियों के दौरान दी जाने वाली डाइट में मुख्य रूप से बाजरे की खिचड़ी के साथ मूंगफली और तिल का तेल भी शामिल किया जाएगा। ये सभी चीजें हथिनियों के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाती हैं, जिससे वे सर्दियों में बीमारियों से बची रहती हैं। हाथी पुनर्वास केंद्र के केयरटेकर आशीष बतुरा ने बताया कि प्रत्येक हथिनी की देखभाल के लिए अलग-अलग महावत नियुक्त किए गए हैं, जो उनकी देखभाल में लगे रहते हैं।
हाथी पुनर्वास केंद्र का इतिहास
2008 में हुई थी स्थापना
चौ. सुरेंद्र सिंह हाथी पुनर्वास केंद्र की स्थापना 2008 में लगभग एक करोड़ की लागत से 50 एकड़ भूमि पर की गई थी। उस समय घरौंडा से बिना परमिट के दो मादा हथिनियों, लक्ष्मी और चंचल को बनसंतौर लाया गया था। एक अन्य हथिनी लिली को सिरसा चुनाव के दौरान एक प्रत्याशी के जुलूस से काबू कर लाया गया था। अब इस केंद्र में चार मादा हथिनियां हैं।
हाथी पुनर्वास केंद्र का उद्देश्य
हाथियों के संरक्षण के लिए पहल
वाइल्डलाइफ एसओएस के प्रबंधक आशीष ने बताया कि चौ. सुरेंद्र सिंह हाथी पुनर्वास केंद्र हरियाणा सरकार द्वारा वन्यजीव एसओएस के सहयोग से स्थापित किया गया है। यह उन हाथियों के लिए है, जिन्हें उनके मालिकों या संचालकों द्वारा क्रूरता का सामना करना पड़ा हो, या जो अवैध हिरासत में हों। ऐसे हाथियों को रेस्क्यू कर पुनर्वास के लिए इस केंद्र में लाया जाता है।
