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सर्व पितृ अमावस्या: पूर्वजों की याद में विशेष उपाय

सर्व पितृ अमावस्या, जिसे पितृ पक्ष का अंतिम दिन कहा जाता है, पूर्वजों को याद करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने का अवसर है। इस दिन कुछ सरल उपाय करने से न केवल पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि उनके आशीर्वाद से जीवन की बाधाएं भी समाप्त हो जाती हैं। जानें इस दिन किए जाने वाले विशेष उपाय जैसे ब्राह्मण को भोजन कराना, शिवलिंग पर अर्पित करना, और दान का महत्व।
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सर्व पितृ अमावस्या का महत्व

सर्व पितृ अमावस्या, जिसे पितृ पक्ष का अंतिम दिन माना जाता है, विशेष महत्व रखता है। यह दिन उन पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने का अवसर है, जिनकी मृत्यु तिथि हमें याद नहीं है या जिनका श्राद्ध नहीं किया गया। मान्यता है कि इस दिन हमारे पितर धरती पर आते हैं और तर्पण की अपेक्षा करते हैं। इस दिन कुछ सरल उपाय करने से न केवल पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि उनके आशीर्वाद से जीवन की कई बाधाएं भी समाप्त हो जाती हैं.


पितरों की शांति के लिए उपाय



  • ब्राह्मण को भोजन कराना: इस दिन अपने पूर्वजों के नाम पर किसी ब्राह्मण को सम्मानपूर्वक भोजन कराना चाहिए। उन्हें श्रद्धा अनुसार वस्त्र और दक्षिणा देकर विदा करें। इससे पितर तृप्त होते हैं.

  • शिवलिंग पर अर्पित करें: यदि पितृ दोष के कारण परेशानियां आ रही हैं, तो शिव मंदिर जाकर शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, काले तिल और बेलपत्र चढ़ाएं। इससे पितृ दोष का प्रभाव कम होता है.

  • पंचबलि भोग: घर में बने सात्विक भोजन में से पांच हिस्से निकालें। ये हिस्से गाय, कुत्ते, कौवे, देवता और चींटी के लिए होते हैं, जो सीधे पितरों तक पहुंचते हैं.

  • दान का महत्व: इस दिन दान का विशेष महत्व है। जरूरतमंदों को काले तिल, कपड़े या अन्न का दान करने से पितरों को शांति मिलती है.

  • तुलसी से जुड़ा उपाय: तुलसी माता को लाल रंग की चुनरी चढ़ाना शुभ माना जाता है, जो घर में सुख-शांति लाता है.


यह दिन अपने पूर्वजों के प्रति आभार व्यक्त करने का है। इस दिन किए गए छोटे-छोटे कार्य भी हमारे जीवन में बड़े सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं.