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सांस्कृतिक पहलों से अखंड भारत की परिकल्पना: श्रीकृष्ण सिंघल का दृष्टिकोण

फरीदाबाद में आयोजित एक संगोष्ठी में श्रीकृष्ण सिंघल ने भारत के पड़ोसी देशों की चुनौतियों और सांस्कृतिक पहलों पर विचार साझा किए। डॉ. रुचिरा खुल्लर ने प्रेरणादायक शेर सुनाकर सभी में जोश भरा। जानें इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के बारे में और अधिक।
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सांस्कृतिक पहलों से अखंड भारत की परिकल्पना: श्रीकृष्ण सिंघल का दृष्टिकोण

फरीदाबाद में संगोष्ठी का आयोजन


  • मैं भारत का और भारत मेरा है : डॉ. रुचिरा खुल्लर


(फरीदाबाद) फरीदाबाद। वर्तमान में पड़ोसी देशों की स्थिति और आपातकाल का दिन चिंतन का विषय बन गया है। हमें अपने अतीत से सीख लेकर वर्तमान को जीना होगा ताकि भविष्य सुरक्षित हो सके। भारत के आस-पास की अस्थिरता एक बड़ी चुनौती है, जिसके समाधान के लिए हमें राष्ट्र की भलाई को प्राथमिकता देनी होगी। आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का एक काला अध्याय है, जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता।


नेहरू कॉलेज के कॉन्फ्रेंस हॉल में पंचनद शोध संस्थान द्वारा 'पड़ोसी देशों के संदर्भ में भारत की बढ़ती चुनौतियां और समाधान' विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में श्रीकृष्ण सिंघल और विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. बृजकिशोर कुठियाला उपस्थित रहे।


कार्यक्रम की अध्यक्षता नेहरू कॉलेज की प्राचार्य डॉ. रुचिरा खुल्लर ने की, जबकि मंच संचालन डॉ. जोरावर सिंह ने किया। प्रो. आशुतोष निगम ने कार्यक्रम का सूत्रधार बनने की भूमिका निभाई। इस अवसर पर डॉ. सविता भगत ने संस्थान की गतिविधियों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में जेसी बोस विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. सुशील कुमार तोमर, डॉ. सुनील कुमार गर्ग, और अन्य शिक्षाविद भी शामिल हुए।


श्रीकृष्ण सिंघल का प्रेरणादायक उद्बोधन

मुख्य वक्ता श्रीकृष्ण सिंघल ने अपने भाषण में भारत के पड़ोसी देशों जैसे भूटान, चीन, श्रीलंका, म्यांमार, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, और पाकिस्तान की गतिविधियों और अस्थिरता का उल्लेख किया। प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने संगोष्ठी में अपने विचार साझा करते हुए कहा कि आज नैरेटिव की लड़ाई चल रही है।


डॉ. रुचिरा खुल्लर ने अपने संबोधन में एक प्रेरणादायक शेर सुनाया, 'मैं भारत का और भारत मेरा है', जिससे सभी में जोश भर गया। संगोष्ठी के अंत में प्रो. आशुतोष निगम ने सफल आयोजन के लिए सभी सहयोगियों का धन्यवाद किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।