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सीडीएस जनरल अनिल चौहान का महत्वपूर्ण संबोधन: आधुनिक युद्ध और तकनीकी अनुकूलन की आवश्यकता

हैदराबाद के कॉलेज ऑफ डिफेंस मैनेजमेंट में आयोजित उच्च रक्षा प्रबंधन कोर्स में, सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने आधुनिक युद्ध की चुनौतियों और तकनीकी अनुकूलन की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने तीनों सेनाओं के समन्वय, आत्मनिर्भरता और नवाचार की महत्वपूर्णता पर चर्चा की। जनरल चौहान ने नई सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए सुधार और एकता की आवश्यकता बताई। कार्यक्रम में 'ज्वॉइंट प्राइमर फॉर इंटीग्रेटेड लॉजिस्टिक्स' का विमोचन भी किया गया।
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सीडीएस जनरल अनिल चौहान का महत्वपूर्ण संबोधन: आधुनिक युद्ध और तकनीकी अनुकूलन की आवश्यकता

सीडीएम में उच्च रक्षा प्रबंधन कोर्स का आयोजन

हैदराबाद स्थित कॉलेज ऑफ डिफेंस मैनेजमेंट (सीडीएम) में 21वें उच्च रक्षा प्रबंधन कोर्स के दौरान, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर इस बात का उदाहरण है कि जब थलसेना, नौसेना और वायुसेना एक साथ मिलकर काम करती हैं, तो किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि आज के समय में तीनों सेनाओं के बीच समन्वय, तकनीक का सही उपयोग और आत्मनिर्भरता आधुनिक युद्ध की कुंजी हैं.


तकनीकी अनुकूलन की आवश्यकता

जनरल चौहान ने बताया कि आधुनिक युद्ध लगातार तकनीकी बदलावों के साथ विकसित हो रहा है। इसलिए, हमारी सैन्य क्षमताओं को मजबूत करना, आत्मनिर्भरता हासिल करना और सेना में हो रहे संरचनात्मक परिवर्तनों को समझना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने अधिकारियों को सलाह दी कि उन्हें बदलते हालात में तकनीक को अपनाने और नवाचार को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य की चुनौतियों का सामना सफलतापूर्वक किया जा सके.


राष्ट्रीय सुरक्षा और उच्च रक्षा प्रबंधन पर चर्चा

सीडीएस ने अपने संबोधन में राष्ट्रीय सुरक्षा संरचना और उच्च रक्षा प्रबंधन पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने भारतीय रक्षा संगठन के ऐतिहासिक विकास, मौजूदा ढांचे और सैन्य मामलों के विभाग (डीएमए) की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। इसके साथ ही, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण समितियों के योगदान और संगठन में सुधार की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने थिएटर कमांड की अवधारणा पर भी चर्चा की, जो संयुक्त रक्षा क्षमता को बढ़ाने और तीनों सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.


नई चुनौतियों का सामना करने के लिए सुधार की आवश्यकता

अपने व्याख्यान में जनरल चौहान ने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी नई चुनौतियों, जैसे हाइब्रिड वारफेयर और साइबर खतरों, से निपटने के लिए सुधार, एकता और रणनीतिक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया। उनके अनुसार, बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत को न केवल रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर होना होगा, बल्कि सैन्य संचालन में भी एकीकृत दृष्टिकोण अपनाना होगा.


ज्वॉइंट प्राइमर फॉर इंटीग्रेटेड लॉजिस्टिक्स का विमोचन

कार्यक्रम के दौरान, सीडीएस ने 'ज्वॉइंट प्राइमर फॉर इंटीग्रेटेड लॉजिस्टिक्स' नामक गाइड जारी की। इस गाइड में सेना की सप्लाई चेन और लॉजिस्टिक सपोर्ट को आधुनिक और संयुक्त बनाने की रूपरेखा दी गई है, ताकि तीनों सेनाएं हर समय युद्ध के लिए तैयार रहें। यह पहल सैन्य दक्षता और संसाधनों के बेहतर उपयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.


स्मार्ट बाइक पब्लिक साइकिल शेयरिंग सेवा का उद्घाटन

सीडीएम परिसर में, सीडीएस ने स्मार्ट बाइक पब्लिक साइकिल शेयरिंग सेवा का उद्घाटन किया। यह सेवा कर्मचारियों को पर्यावरण-हितैषी ई-साइकिल के माध्यम से दैनिक यात्रा की सुविधा प्रदान करती है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य कार्बन उत्सर्जन को कम करना है। यह पहल सीडीएम और स्मार्ट बाइक मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से शुरू की गई है, जो पर्यावरण संरक्षण, स्मार्ट तकनीक और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने के प्रति संस्थान की प्रतिबद्धता को दर्शाती है.


सीडीएम की भूमिका और अंतरराष्ट्रीय सहयोग

सीडीएम के कमांडेंट मेजर जनरल हर्ष छिब्बर ने व्यावसायिक सैन्य शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए चल रही पहलों की जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि सीडीएम एक प्रमुख त्रि-सेवा संस्थान है, जो वरिष्ठ अधिकारियों को उच्च नेतृत्व भूमिकाओं के लिए आवश्यक आधुनिक प्रबंधन कौशल से लैस करता है। 44 सप्ताह तक चलने वाले एचडीएमसी प्रोग्राम में इस बार 167 प्रतिभागी शामिल हैं, जिनमें 12 अधिकारी मित्र देशों से आए हैं। यह भारत की क्षेत्रीय सहयोग और सैन्य कूटनीति के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता का प्रतीक है.