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सीपी राधाकृष्णन बने भारत के नए उपराष्ट्रपति, शपथ ग्रहण समारोह संपन्न

सीपी राधाकृष्णन ने शुक्रवार को भारत के 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें यह शपथ दिलाई। राधाकृष्णन ने 9 सितंबर को हुए चुनाव में विपक्षी उम्मीदवार को हराया। जानें उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया, कार्यकाल और उत्तराधिकार के बारे में।
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सीपी राधाकृष्णन बने भारत के नए उपराष्ट्रपति, शपथ ग्रहण समारोह संपन्न

उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण

सीपी राधाकृष्णन ने शुक्रवार को भारत के 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में उन्हें यह शपथ दिलाई। 67 वर्षीय राधाकृष्णन ने 9 सितंबर को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों से हराकर जीत हासिल की थी।


चुनाव की आवश्यकता

तत्कालीन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों से अचानक इस्तीफा दिया था, जिसके चलते नए उपराष्ट्रपति का चुनाव आवश्यक हो गया। भारतीय संविधान के अनुसार, नए उपराष्ट्रपति का निर्वाचन निवर्तमान उपराष्ट्रपति की पदावधि समाप्त होने के 60 दिनों के भीतर होना चाहिए। धनखड़ इस समारोह में शामिल हुए, जो उनके इस्तीफे के बाद पहली सार्वजनिक उपस्थिति थी।


निर्वाचन आयोग की भूमिका

भारत का निर्वाचन आयोग उपराष्ट्रपति के चुनाव का संचालन करता है। संविधान के अनुच्छेद 324(1) के तहत, आयोग को राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनावों के संचालन का अधिकार प्राप्त है। राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम 1952 में इस संबंध में विस्तृत प्रावधान किए गए हैं।


चुनाव प्रक्रिया

यह ध्यान देने योग्य है कि उपराष्ट्रपति का चुनाव सीधे जनता द्वारा नहीं किया जाता। यह चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य शामिल होते हैं। राज्य विधानसभाओं के सदस्य इसमें शामिल नहीं होते। मतदान गुप्त रहता है और यह आनुपातिक प्रतिनिधित्व और एकल संक्रमणीय मत की विधि से होता है।


पदभार ग्रहण की प्रक्रिया

चुनाव कार्यक्रम इस प्रकार निर्धारित किया जाता है कि निर्वाचित उपराष्ट्रपति निवर्तमान उपराष्ट्रपति के कार्यकाल की समाप्ति के अगले दिन पदभार ग्रहण कर सकें। उपराष्ट्रपति अपने पदभार ग्रहण करने की तारीख से 5 साल की अवधि के लिए पद पर रहते हैं, लेकिन कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी वे तब तक बने रहते हैं जब तक उनका उत्तराधिकारी पद ग्रहण न कर ले।


उत्तराधिकार की प्रक्रिया

यदि उपराष्ट्रपति की मृत्यु, पद से हटाए जाने या त्यागपत्र देने की स्थिति उत्पन्न होती है, तो संविधान में नए चुनाव के अलावा उत्तराधिकार का कोई अन्य तरीका नहीं है। हालांकि, ऐसी स्थिति में उपसभापति राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य कर सकते हैं।


उपराष्ट्रपति का पद

उपराष्ट्रपति संसद के किसी सदन का या किसी राज्य के विधानमंडल का सदस्य नहीं होता। यदि संसद के किसी सदन का सदस्य उपराष्ट्रपति निर्वाचित होता है, तो उसका पूर्व पद स्वतः रिक्त हो जाता है।