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सीमा हैदर का नाम 650 करोड़ रुपये के आर्थिक घोटाले में आया सामने

सीमा हैदर, जो प्यार और विवादों के लिए जानी जाती हैं, अब एक बड़े आर्थिक घोटाले में फंस गई हैं। प्रवर्तन निदेशालय की जांच में उनके और उनके पति सचिन के नाम 650 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े में शामिल होने का खुलासा हुआ है। यह मामला बिहार के दो चार्टर्ड अकाउंटेंट भाइयों से जुड़ा है, जिन्होंने फर्जी कंपनियों के माध्यम से सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया। जानें इस घोटाले की पूरी कहानी और ईडी की कार्रवाई के बारे में।
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सीमा हैदर का नाम 650 करोड़ रुपये के आर्थिक घोटाले में आया सामने

सीमा हैदर का नया विवाद

सीमा हैदर: प्यार और विवादों के कारण चर्चा में रहने वाली सीमा हैदर एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार मामला प्यार का नहीं, बल्कि एक बड़े आर्थिक घोटाले का है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में यह सामने आया है कि सीमा हैदर और उनके पति सचिन का नाम 650 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े में शामिल है।


घोटाले की शुरुआत

यह मामला बिहार के दरभंगा के दो चार्टर्ड अकाउंटेंट भाइयों, आशुतोष झा और विपिन झा से शुरू होता है। इन दोनों ने फर्जी कंपनियों के माध्यम से सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया। उन्होंने कागजों पर झूठा कारोबार दिखाकर टैक्स चोरी की। इस घोटाले में सीमा और सचिन के नाम और तस्वीरों का भी दुरुपयोग किया गया है।


फर्जी पहचान पत्र का मामला

फर्जी कंपनी और सीमा-सचिन की भूमिका: जांच में यह पता चला कि अरुणाचल प्रदेश की सिद्धिविनायक ट्रेड मर्चेंट नामक कंपनी इस घोटाले का केंद्र थी। इसके मालिक राहुल जैन हैं। आरोप है कि झा भाइयों ने सीमा और सचिन की तस्वीरों का उपयोग कर फर्जी पहचान पत्र बनाए। इन दस्तावेजों के जरिए उन्होंने लगभग 99 करोड़ रुपये का गबन किया।


ईडी की कार्रवाई

ईडी की जांच और छापेमारी: प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए 11 सितंबर 2025 को कई राज्यों में छापेमारी की। दिल्ली, हरियाणा, तमिलनाडु, तेलंगाना और अरुणाचल प्रदेश में ईडी की टीमें सक्रिय थीं। ईटानगर के जोनल ऑफिस से मिली जानकारी के आधार पर कई महत्वपूर्ण सबूत जुटाए गए। ईडी का मानना है कि इस घोटाले में हवाला कारोबारियों और फर्जी कंपनियों के निदेशकों का एक बड़ा नेटवर्क शामिल है।


घोटाले की गहराई

कैसे शुरू हुआ मामला? यह घोटाला तब शुरू हुआ जब अरुणाचल प्रदेश पुलिस ने 2024 में आशुतोष और विपिन झा को 100 करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) घोटाले में गिरफ्तार किया। जांच के दौरान यह पता चला कि यह घोटाला केवल 100 करोड़ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह 650 करोड़ रुपये का बड़ा खेल है। झा भाइयों ने बिना किसी वास्तविक कारोबार के फर्जी बिल बनाकर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया।