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सीरिया के राष्ट्रपति ने इजरायल के साथ शांति की इच्छा जताई

सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शारा ने इजरायल के साथ शांति स्थापित करने की इच्छा व्यक्त की है। उन्होंने शांति के लिए कुछ शर्तें रखी हैं, जिसमें सीरिया की एकता और वर्तमान सीमाओं का पालन शामिल है। यह कदम सीरिया की दशकों पुरानी इजरायल विरोधी नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है। जानें इस पहल के पीछे के कारण और भविष्य की संभावनाएं क्या हो सकती हैं।
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सीरिया के राष्ट्रपति ने इजरायल के साथ शांति की इच्छा जताई

सीरिया के राष्ट्रपति की शांति की पेशकश

सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शारा ने इजरायल के साथ शांति स्थापित करने की इच्छा व्यक्त की है। अमेरिकी सांसद मार्लिन स्टट्जमैन ने इजरायल हायोम को बताया कि हाल ही में दमिश्क में अल-शारा से उनकी मुलाकात हुई, जिसमें उन्होंने शांति के लिए अपनी तत्परता जाहिर की। स्टट्जमैन ने कहा, "उन्होंने कहा कि वह अब्राहम समझौते के लिए तैयार हैं, जो सीरिया को इजरायल, अन्य मध्य पूर्वी देशों और निश्चित रूप से अमेरिका के साथ अच्छे संबंध स्थापित करने में मदद करेगा."


शांति के लिए शर्तें

अल-शारा ने शांति के लिए एक महत्वपूर्ण शर्त रखी है कि "सीरिया को एकजुट रहना होगा और अपनी वर्तमान सीमाओं के भीतर रहना होगा।" उन्होंने इजरायल द्वारा गोलान हाइट्स के अतिक्रमण और सीरिया में बमबारी को समाप्त करने की मांग भी की। स्टट्जमैन ने बताया कि अल-शारा ने व्यापार, पर्यटन और यूरोप तक व्यापारिक मार्ग विकसित करने की इच्छा जताई, जो सीरिया के पुनर्निर्माण और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है.


राजनयिक परिदृश्य में बदलाव

अल-शारा की यह टिप्पणी सीरिया की दशकों पुरानी इजरायल विरोधी नीति में एक ऐतिहासिक बदलाव का संकेत देती है। हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) के नेता के रूप में, जो पहले अल-कायदा से संबद्ध था, अल-शारा ने हाल के वर्षों में अपनी छवि को उदारवादी बनाने की कोशिश की है। उनकी सरकार ने अल्पसंख्यकों के साथ समावेशी नीतियों का वादा किया है और अमेरिका से प्रतिबंध हटाने की मांग की है। स्टट्जमैन ने कहा, "यह स्पष्ट है कि यह शासन असद की तुलना में बेहतर है। उनसे बात करें—आपको क्या नुकसान है?"


भविष्य की संभावनाएं

सीरिया और इजरायल के बीच शांति वार्ता क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है। अल-शारा की यह पहल अब्राहम समझौते को विस्तार देने और सीरिया को वैश्विक समुदाय में पुनः एकीकृत करने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है.