सुंदर सिंह गुर्जर: जैवलिन थ्रो में भारत का गौरव
सुंदर सिंह गुर्जर की प्रेरणादायक यात्रा
नई दिल्ली: पिछले कुछ वर्षों में भारत में जैवलिन थ्रो की लोकप्रियता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, और इस खेल में भारतीय खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। ओलंपिक और पैरालंपिक दोनों में, जैवलिन में भारतीय एथलीटों ने शानदार प्रदर्शन किया है। पैरा एथलेटिक्स में सुंदर सिंह गुर्जर का नाम विशेष रूप से उभरा है, जिन्होंने लगातार दो पैरालंपिक में पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है।
सुंदर सिंह गुर्जर का जन्म 1 जनवरी 1996 को राजस्थान के करौली में हुआ। बचपन से ही उनकी रुचि खेलों में अधिक थी, जबकि पढ़ाई में उनका ध्यान कम था। उनके परिवार में कुश्ती का माहौल था, लेकिन 2012 में कोच की सलाह पर उन्होंने जैवलिन थ्रो की शुरुआत की। हालांकि, 2015 में एक दुर्घटना में उनका बायां हाथ कट गया, जिससे वह मानसिक रूप से टूट गए थे और जैवलिन छोड़ने का विचार करने लगे। लेकिन उनके कोच महावीर प्रसाद सैनी ने उन्हें हिम्मत न हारने और पैरा एथलेटिक्स में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
कोच की सलाह ने सुंदर की जिंदगी में एक नया मोड़ लाया। उन्होंने पैरा एथलेटिक्स में जैवलिन में पदक जीतने का सपना देखा और एफ46 श्रेणी में प्रतिस्पर्धा करने लगे। 2016 में रियो पैरालंपिक के लिए क्वालीफाई करने के बावजूद, वह कॉल रूम में समय पर नहीं पहुंचने के कारण डिस्क्वालीफाई हो गए।
सुंदर की सफलता की कहानी 2017 में लंदन में आयोजित विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने के साथ शुरू हुई। इसके बाद, उन्होंने 2019 में दुबई में भी स्वर्ण पदक जीता। 2018 एशियन पैरा गेम्स में रजत और हाल ही में 2023 हांगझोउ एशियन पैरा गेम्स में 68.60 मीटर थ्रो करके विश्व रिकॉर्ड तोड़ते हुए स्वर्ण पदक जीता।
सुंदर ने टोक्यो 2020 पैरालंपिक में 64.01 मीटर थ्रो के साथ कांस्य पदक जीता और पेरिस में 2024 पैरालंपिक में 64.96 मीटर के साथ फिर से कांस्य जीता। हाल ही में, 2025 विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी उन्होंने रजत पदक जीता। उनकी असाधारण उपलब्धियों के लिए भारत सरकार ने उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया है। वर्तमान में, वह राजस्थान वन विभाग में सहायक कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट के पद पर कार्यरत हैं।
