सुप्रीम कोर्ट का आधार पर महत्वपूर्ण फैसला: पहचान के लिए 12वें दस्तावेज के रूप में मान्यता

सुप्रीम कोर्ट का आधार कार्ड पर निर्णय
Supreme Court Aadhaar Verdict : सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) से संबंधित एक महत्वपूर्ण मामले में आधार कार्ड के उपयोग को लेकर एक बड़ा निर्णय लिया है। अदालत ने कहा है कि आधार कार्ड को किसी व्यक्ति की पहचान स्थापित करने के लिए 12वें वैकल्पिक दस्तावेज के रूप में मान्यता दी जा सकती है। इसका मतलब है कि इसे पहले से मान्य 11 दस्तावेजों के समान माना जाएगा। हालांकि, अदालत ने यह स्पष्ट किया कि आधार को नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जाएगा, बल्कि इसे केवल पहचान और निवास के प्रमाण के रूप में उपयोग किया जाएगा।
EC को आधार की वैधता की जांच का अधिकार
सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को यह अधिकार दिया कि वह प्रस्तुत किए गए आधार कार्ड की प्रामाणिकता की जांच कर सके। यह तब कहा गया जब कुछ याचिकाकर्ताओं ने चिंता जताई कि अवैध प्रवासी नागरिक इस आधार पर मतदाता सूची में शामिल हो सकते हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि कोई भी अदालत या आयोग अवैध प्रवासियों को अनुमति देने की बात नहीं कर रहा है, और आधार को केवल पहचान का माध्यम माना जा रहा है, न कि नागरिकता का प्रमाण।
99.6% मतदाताओं ने पहले ही दस्तावेज़ जमा किए
चुनाव आयोग के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बिहार में कुल 7.24 करोड़ मतदाताओं में से 99.6% ने पहले ही आवश्यक दस्तावेज़ प्रस्तुत कर दिए हैं। आयोग का कहना है कि केवल एक छोटा प्रतिशत ऐसा है जिनके लिए पहचान की पुष्टि के लिए अतिरिक्त दस्तावेज़ मांगे गए हैं। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि पहले के आदेश में जिन 65 लाख लोगों के लिए आधार कार्ड स्वीकार किया गया था, उनके बारे में किसी याचिकाकर्ता ने यह नहीं बताया कि उन्हें गलत तरीके से बाहर रखा गया है।
नागरिकता नहीं, केवल पहचान का प्रमाण है आधार
सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि आधार को नागरिकता का दस्तावेज़ नहीं माना जा सकता। यह केवल पहचान और निवास को प्रमाणित करने का एक साधन है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर आधार को 12वें दस्तावेज़ के रूप में स्वीकार किया जाता है, तो इसमें कोई समस्या नहीं है, क्योंकि यह चुनावी प्रक्रिया में पहचान सुनिश्चित करने में सहायक हो सकता है।
अगली सुनवाई 15 सितंबर को
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख 15 सितंबर निर्धारित की है। तब तक अदालत ने चुनाव आयोग को आधार कार्ड को पहचान के 12वें दस्तावेज़ के रूप में स्वीकार करने की प्रक्रिया और उसके संभावित प्रभावों पर विचार करने को कहा है।