सुप्रीम कोर्ट का आनंद मैरिज एक्ट पर ऐतिहासिक निर्णय, सिख समाज की पहचान को मिली मान्यता

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय
-परगट सिंह ने कहा- अब आने वाली पीढ़ियों को आनंद कारज विवाह को अन्य कानूनों के तहत पंजीकृत कराने की आवश्यकता नहीं होगी
-अन्य राज्यों से जल्द इसे लागू करने की अपील, न्याय में हुई देरी ने बहुत कष्ट दिया है
-2012 में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार ने आनंद मैरिज एक्ट (संशोधित) विधेयक पारित किया था
चंडीगढ़: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव और विधायक पद्मश्री परगट सिंह ने आनंद मैरिज (आनंद कारज) एक्ट को पूरी तरह लागू करने के सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय केवल एक कानूनी आदेश नहीं है, बल्कि यह सिख समाज की विशिष्ट पहचान, परंपरा और गरिमा का सम्मान करता है। यह फैसला हमारी आने वाली पीढ़ियों को यह विश्वास दिलाएगा कि अब उनके आनंद कारज विवाह को किसी अन्य कानून के तहत पंजीकृत करने की आवश्यकता नहीं होगी।
परगट सिंह ने कहा कि यह निर्णय लंबे समय से लंबित था। उन्होंने याद दिलाया कि 1909 में आनंद मैरिज एक्ट पारित हुआ था। 2012 में इसमें संशोधन कर सिख विवाह के लिए एक अलग ढांचा तैयार किया गया था, जिसे पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने संसद में पारित किया था। इसके तहत सिख पारंपरिक विवाह को कानूनी मान्यता दी गई थी। फिर भी दशकों तक सिख दंपतियों को हिंदू मैरिज एक्ट के तहत पंजीकरण के लिए मजबूर होना पड़ा।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अब इस उपेक्षा को समाप्त कर दिया है। आज हर सिख परिवार गर्व के साथ अपना विवाह आनंद मैरिज एक्ट के तहत दर्ज करा सकेगा। अब हर सिख दंपति अपने विवाह को अपनी आस्था और रीति-रिवाजों के अनुसार पंजीकृत कर पाएगा। यह केवल प्रक्रिया का विषय नहीं है, बल्कि आत्मसम्मान, समानता और न्याय का प्रश्न है।
परगट सिंह ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से तुरंत नियम बनाने और व्यवस्था स्थापित करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि न्याय में हुई देरी ने बहुत कष्ट दिया है, लेकिन अब इसे लागू करने में कोई देरी नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने बताया कि यह आदेश उन 17 राज्यों और 7 केंद्रशासित प्रदेशों पर लागू होगा, जिन्होंने अब तक नियम नहीं बनाए हैं। इनमें उत्तराखंड, कर्नाटक, तमिलनाडु, झारखंड, उत्तर प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल, गुजरात, बिहार, महाराष्ट्र, तेलंगाना, नगालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मणिपुर और जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, चंडीगढ़, लक्षद्वीप, दमन-दीव, पुडुचेरी और अंडमान-निकोबार शामिल हैं।
परगट सिंह ने आश्वस्त किया कि कांग्रेस इस फैसले के पूर्ण अनुपालन और निगरानी के लिए सिख समुदाय के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहेगी। पंजाब ने हमेशा आस्था और न्याय के मूल्यों को जिया है।