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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: दोषियों की रिहाई का आदेश

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 2002 के नीतीश कटारा हत्या मामले में दोषी सुखदेव यादव की रिहाई का आदेश दिया है। इस फैसले के साथ, सभी राज्यों को निर्देश दिया गया है कि वे उन कैदियों को तुरंत रिहा करें जिन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली है। यह निर्णय न्यायिक प्रणाली में प्रक्रियात्मक देरी को दूर करने और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। जानें इस ऐतिहासिक फैसले के बारे में और क्या है इसके पीछे की कहानी।
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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: दोषियों की रिहाई का आदेश

सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए 2002 के नीतीश कटारा हत्या मामले में दोषी सुखदेव यादव उर्फ पहलवान को उसकी पूरी सजा पूरी करने के बाद तुरंत रिहा करने का आदेश दिया है। यह केवल एक कैदी की रिहाई का मामला नहीं है; इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। इस निर्देश में उन सभी कैदियों की पहचान कर उन्हें तुरंत रिहा करने का आदेश दिया गया है, जिन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली है और किसी अन्य मामले में वांछित नहीं हैं।


सुखदेव यादव की याचिका पर सुनवाई करते हुए, न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के गृह सचिवों को निर्देश दिया है कि वे उन सभी दोषियों को तुरंत रिहा करें, जिन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली है, लेकिन बिना किसी कानूनी कारण के जेल में बंद हैं। यह आदेश स्पष्ट करता है कि यदि ऐसे कैदियों को किसी अन्य मामले में वांटेड नहीं पाया जाता है, तो उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।


पीठ ने यह भी निर्देश दिया है कि उसके इस आदेश की प्रति राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (NALSA) के सदस्य सचिव को भेजी जाए, जो यह सुनिश्चित करेंगे कि यह निर्देश देश भर की सभी जिला कानूनी सेवा प्राधिकरणों तक पहुंचे। यह कदम उन कैदियों के लिए एक बड़ी राहत है जो अपनी सजा पूरी करने के बावजूद, प्रशासनिक देरी या अन्य कारणों से जेल में बने रहते हैं। यह न्यायिक प्रणाली में प्रक्रियात्मक देरी को दूर करने और मानवाधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।


पहलवान को जून 2025 में तीन महीने की फर्लो (जेल से अस्थायी रिहाई) दी गई थी। उस समय सुप्रीम कोर्ट ने यह भी नोट किया था कि उसने बिना किसी रिमिशन के 20 साल की लगातार कारावास की सजा काटी है। फर्लो, रिमिशन के विपरीत, लंबी अवधि के कैदियों के लिए एक अस्थायी रिहाई होती है।


पहलवान की नवीनतम याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था। यह याचिका दिल्ली हाई कोर्ट के नवंबर 2024 के उस आदेश को चुनौती देती थी, जिसने तीन सप्ताह की फर्लो के लिए उसके अनुरोध को खारिज कर दिया था। यह दर्शाता है कि वह अपनी रिहाई के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहा था।


2002 का नीतीश कटारा हत्याकांड एक जघन्य अपराध था, जिसमें नीतीश कटारा का अपहरण कर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री डी.पी. यादव के बेटे विकास यादव और उसके चचेरे भाई विशाल यादव को दोषी ठहराया गया था। 3 अक्टूबर, 2016 को, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा की पुष्टि करते हुए, अपहरण और हत्या के लिए बिना रिमिशन के 25 साल की जेल की सजा सुनाई थी। सुखदेव यादव उर्फ पहलवान भी इस मामले में एक दोषी था, और उसने अपनी सजा का बड़ा हिस्सा काट लिया था।