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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा कदम: राजनीतिक दलों के रजिस्ट्रेशन पर कड़े नियमों की मांग

सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों के रजिस्ट्रेशन को नियंत्रित करने के लिए कड़े नियम बनाने की मांग की है। एक जनहित याचिका में दावा किया गया है कि अधिकांश राजनीतिक दल काले धन को सफेद करने के लिए बनाए जाते हैं। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। जानें इस महत्वपूर्ण मामले के बारे में और क्या कदम उठाए जाएंगे।
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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा कदम: राजनीतिक दलों के रजिस्ट्रेशन पर कड़े नियमों की मांग

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का निर्णय

देश की राजनीतिक व्यवस्था को सुधारने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। शुक्रवार को, कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति दी, जिसमें चुनाव आयोग को राजनीतिक दलों के रजिस्ट्रेशन और उनके कार्यों को नियंत्रित करने के लिए सख्त नियम बनाने का निर्देश देने की मांग की गई है।


याचिका का उद्देश्य क्या है? याचिका में यह कहा गया है कि राजनीतिक दलों के लिए ऐसे नियम बनाए जाएं जो धर्मनिरपेक्षता, पारदर्शिता, लोकतंत्र और न्याय को बढ़ावा दें, साथ ही भ्रष्टाचार, जातिवाद, भाषावाद, क्षेत्रवाद और आपराधिक गतिविधियों पर नियंत्रण लगाने में सहायक हों।


याचिका में एक गंभीर और चौंकाने वाला दावा भी किया गया है। इसके अनुसार, "लगभग 90 प्रतिशत राजनीतिक दल चुनावों में भाग लेने के लिए नहीं, बल्कि काले धन को सफेद करने के लिए स्थापित किए जाते हैं। ये दल हजारों करोड़ रुपये नकद में चंदा लेते हैं और 20 प्रतिशत कमीशन काटकर डोनर को चेक के माध्यम से पैसा वापस कर देते हैं।"


सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जयमाल्य बागची की बेंच ने तुरंत कार्रवाई की। उन्होंने केंद्र सरकार, चुनाव आयोग और विधि आयोग को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में जवाब देने का निर्देश दिया है।


महत्वपूर्ण यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय को निर्देश दिया है कि वे चुनाव आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त सभी राष्ट्रीय राजनीतिक दलों (जैसे BJP, कांग्रेस, TMC, AAP आदि) को भी इस मामले में शामिल करें। इसका अर्थ है कि अब देश की सभी प्रमुख पार्टियों को इस मामले में कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करना होगा।


याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि राजनीतिक दलों को संविधान में महत्वपूर्ण स्थान दिए जाने के बावजूद, उनके कार्यों को नियंत्रित करने के लिए अब तक कोई ठोस कानून नहीं बनाया गया है।