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सुप्रीम कोर्ट का बिहार मतदाता सूची पर महत्वपूर्ण आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची से 65 लाख नाम हटाने के मामले में चुनाव आयोग को निर्देश दिए हैं कि वह हटाए गए मतदाताओं की सूची 9 अगस्त तक प्रस्तुत करे। यह आदेश एनजीओ द्वारा दायर याचिकाओं के बाद आया है, जिसमें हटाए गए नामों के कारणों की जानकारी मांगी गई है। कोर्ट ने चुनाव आयोग को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे प्रभावित मतदाताओं से संपर्क करें और आवश्यक दस्तावेजों की स्थिति स्पष्ट करें। अगली सुनवाई 12 और 13 अगस्त को होगी, जहां इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।
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सुप्रीम कोर्ट का बिहार मतदाता सूची पर महत्वपूर्ण आदेश

बिहार मतदाता सूची 2025

बिहार मतदाता सूची 2025: बिहार में मतदाता सूची से लगभग 65 लाख नामों को हटाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। कोर्ट ने चुनाव आयोग को आदेश दिया है कि वह हटाए गए मतदाताओं की पूरी सूची 9 अगस्त तक प्रस्तुत करे। ये मतदाता वे हैं जिनके नाम बिहार की मसौदा मतदाता सूची से हटाए गए हैं। न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने चुनाव आयोग को यह भी निर्देश दिया कि इस सूची की एक प्रति गैर-सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) को भी उपलब्ध कराई जाए।


एनजीओ की मांग

एनजीओ ने चुनाव आयोग से मांगी विस्तृत जानकारी

यह कदम चुनाव आयोग द्वारा बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत लिए गए निर्णयों के खिलाफ दायर याचिकाओं के बाद उठाया गया है। एनजीओ ने चुनाव आयोग से अनुरोध किया है कि हटाए गए मतदाताओं के नाम के साथ-साथ यह भी स्पष्ट किया जाए कि उनका नाम क्यों हटाया गया है—क्या वे मृत हैं, स्थायी रूप से पलायन कर गए हैं, या किसी अन्य कारण से उनका नाम सूची से बाहर किया गया है?


सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को दिया स्पष्ट निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के वकील से कहा है कि वे शनिवार तक इस मामले में जवाब दाखिल करें ताकि इस पर विस्तार से चर्चा की जा सके। कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रभावित मतदाताओं से संपर्क कर उनकी जानकारी प्राप्त की जाएगी। इसके बाद ही यह तय किया जाएगा कि सूची में किस तरह के बदलाव या सुधार की आवश्यकता है।


हटाए गए मतदाताओं की स्थिति

एनजीओ के वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट को बताया कि हटाए गए मतदाताओं में से कई ने चुनाव आयोग को आवश्यक दस्तावेज प्रदान नहीं किए थे, फिर भी उनके नाम मतदान सूची में शामिल थे। उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक दलों को हटाए गए मतदाताओं की सूची दी गई है, लेकिन इसमें मृत्युदर या अन्य कारणों का विवरण नहीं है।


चुनाव आयोग का पक्ष

चुनाव आयोग का पक्ष और मतदाता सूची के आंकड़े

चुनाव आयोग ने बताया है कि ड्राफ्ट मतदाता सूची में कुल 7.24 करोड़ मतदाताओं के नाम शामिल थे, लेकिन लगभग 65 लाख नामों को हटाया गया। हटाने के कारणों में प्रमुख रूप से मृत्यु (22.34 लाख), स्थायी रूप से पलायन (36.28 लाख), और एक से अधिक स्थानों पर नामांकन (7.01 लाख) शामिल हैं। चुनाव आयोग का दावा है कि इस पुनरीक्षण से मतदाता सूची की शुद्धता और चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता बढ़ेगी।


सुप्रीम कोर्ट की भविष्य की कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट की भविष्य की कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची के SIR प्रक्रिया पर पूरी नजर बनाए रखी है और कहा है कि यदि बड़ी संख्या में नाम अनुचित रूप से हटाए गए पाए जाते हैं, तो वह तुरंत हस्तक्षेप करेगी। कोर्ट ने मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड को दस्तावेज़ के रूप में स्वीकार करने को जारी रखने का भी आदेश दिया है, जिससे अधिक से अधिक पात्र मतदाता सूची में शामिल हो सकें।

इस मामले की अगली सुनवाई 12 और 13 अगस्त को निर्धारित है, जहां कोर्ट इस पूरे मुद्दे पर विस्तार से विचार करेगी। इस प्रकार, बिहार में मतदाता सूची से नाम हटाए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को कड़े निर्देश दिए हैं और इस प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करने की मांग की है।