सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश: सजा पूरी करने वाले कैदियों की रिहाई

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट का आदेश: सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को आदेश दिया कि सभी ऐसे कैदियों को तुरंत रिहा किया जाए, जिन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली है और जिनके खिलाफ कोई अन्य मामला लंबित नहीं है। अदालत ने चिंता व्यक्त की कि कई कैदी अपनी सजा समाप्त होने के बावजूद जेल में बंद हैं, जो उनके अधिकारों का उल्लंघन है।
सुखदेव यादव की रिहाई
जस्टिस के वी विश्वनाथन और जस्टिस बी वी नागरत्ना की पीठ ने यह आदेश 2002 में नितीश कटारा हत्या मामले के दोषी सुखदेव यादव, जिसे पहलवान के नाम से भी जाना जाता है, की रिहाई के साथ दिया। अदालत ने कहा कि यादव ने 20 साल की सजा मार्च 2025 में पूरी कर ली थी, लेकिन उन्हें रिहा नहीं किया गया। कोर्ट ने कहा कि उन्हें 10 मार्च 2025 को जेल से बाहर होना चाहिए था।
राज्यों को निर्देश
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि इस फैसले की प्रति सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के गृह सचिवों को भेजी जाए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई आरोपी या दोषी अपनी सजा पूरी होने के बाद भी जेल में न हो। यदि ऐसा है, तो उन्हें तुरंत रिहा किया जाए, बशर्ते वे किसी अन्य मामले में वांछित न हों। इसी तरह, आदेश की प्रति राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण यानी NALSA के सदस्य सचिव को भी भेजी जाएगी, ताकि राज्य और जिला स्तर पर इसके क्रियान्वयन की निगरानी की जा सके।
न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन
न्याय के सिद्धांतों के विपरीत
सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि किसी कैदी की सजा पूरी होने के बाद उसे एक दिन भी अतिरिक्त जेल में नहीं रखा जा सकता। अदालत ने कहा कि किसी भी कैदी की अनावश्यक कैद असंवैधानिक है और यह न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है।
सुखदेव यादव का मामला
अपहरण और हत्या का दोषी
सुखदेव यादव को ट्रायल कोर्ट ने 20 साल की सजा सुनाई थी, जबकि सह-दोषियों विकास यादव और विशाल यादव को 25 साल की सजा दी गई थी, जिसमें किसी प्रकार की रिमिशन का लाभ नहीं था। तीनों को फरवरी 2002 में नितीश कटारा के अपहरण और हत्या का दोषी पाया गया था। यह हत्या विकास यादव की बहन भारती यादव के साथ कटारा के कथित प्रेम संबंध को लेकर हुई थी, जिसका विरोध यादव परिवार करता था.
अस्थायी रिहाई की याचिका
अस्थायी रिहाई की याचिका खारिज
इस मामले में पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने नवंबर 2024 में सुखदेव यादव की फरलो यानी अस्थायी रिहाई की याचिका खारिज कर दी थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें तीन महीने की फरलो दी थी। फरलो अस्थायी रिहाई होती है, जो लंबी सजा काट चुके कैदियों को कुछ समय के लिए दी जाती है, लेकिन यह सजा को समाप्त नहीं करती।