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सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: इलाज के बाद भी मरीज ठीक न होने पर डॉक्टर नहीं होंगे जिम्मेदार

सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि यदि मरीज इलाज के बाद ठीक नहीं होता, तो डॉक्टर को हर बार लापरवाही के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। यह फैसला एक महिला की मृत्यु के मामले में सुनाया गया है, जिसमें अदालत ने डॉक्टरों की पेशेवर जिम्मेदारियों और चिकित्सा क्षेत्र की व्यावसायिकता पर प्रकाश डाला। जानें इस फैसले के पीछे की वजह और इसके प्रभाव।
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सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: इलाज के बाद भी मरीज ठीक न होने पर डॉक्टर नहीं होंगे जिम्मेदार

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

नई दिल्ली - सुप्रीम कोर्ट ने चिकित्सा पेशे से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में फैसला सुनाया है। न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई मरीज इलाज के बाद ठीक नहीं होता, तो हर बार डॉक्टर को लापरवाही के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। यह निर्णय जस्टिस संजय कुमार और सतीश चंद्रा की बेंच ने एक महिला की मृत्यु के मामले की सुनवाई के दौरान दिया।


अदालत ने कहा, "यदि सर्जरी सफल नहीं होती या उपचार के दौरान अपेक्षित परिणाम नहीं मिलते, तो डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप नहीं लगाया जा सकता।" एक सक्षम डॉक्टर ऐसा कोई कार्य नहीं करेगा जिससे मरीज को नुकसान पहुंचे, क्योंकि इससे उसकी पेशेवर छवि पर असर पड़ सकता है। अदालत ने यह भी कहा कि कभी-कभी, सभी प्रयासों के बावजूद, डॉक्टर का उपचार असफल हो सकता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि डॉक्टर को दोषी ठहराया जाए, जब तक कि लापरवाही के ठोस सबूत न हों।


अदालत ने यह भी माना कि चिकित्सा पेशा अब कुछ हद तक व्यवसायिक हो गया है। कुछ डॉक्टर आर्थिक लाभ के लिए अपनी शपथ से भटक जाते हैं, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि पूरे चिकित्सा समुदाय को भ्रष्ट या अक्षम माना जाए।


इस मामले में, अदालत ने एनसीडीआरसी के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें डॉक्टर और अस्पताल को लापरवाही का दोषी ठहराया गया था। अदालत ने कहा कि शिकायत में यह आरोप लगाया गया था कि नर्सिंग होम आपात स्थिति का सामना करने में असमर्थ था, लेकिन प्रसवपूर्व देखभाल और प्रसूति विशेषज्ञों के प्रबंधन में किसी भी प्रकार की कमी का आरोप नहीं था।