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सुप्रीम कोर्ट का सरोगेसी कानून पर महत्वपूर्ण निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने सरोगेसी अधिनियम पर एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि सरकार यह तय नहीं कर सकती कि कौन दंपति माता-पिता बन सकते हैं। अदालत ने आयु सीमा को लेकर भी महत्वपूर्ण बातें कहीं हैं, खासकर उन दंपतियों के लिए जिन्होंने कानून लागू होने से पहले भ्रूण जमा किए थे। इस निर्णय से प्रभावित दंपतियों को अपने अधिकारों के लिए उच्च न्यायालय में जाने की सलाह दी गई है।
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सुप्रीम कोर्ट का सरोगेसी कानून पर महत्वपूर्ण निर्णय

सुप्रीम कोर्ट का सरोगेसी कानून पर निर्णय


सुप्रीम कोर्ट ने आज सरोगेसी अधिनियम पर एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। अदालत ने सरकार को चेतावनी दी कि वह यह तय नहीं कर सकती कि कौन दंपत्ति कब माता-पिता बन सकते हैं। जस्टिस बीवी नागरथना और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने यह स्पष्ट किया।


सरोगेसी एक्ट की आयु सीमा

जजों ने कहा कि सरोगेसी एक्ट की आयु सीमा उन दंपतियों पर लागू नहीं होगी जिन्होंने कानून लागू होने से पहले भ्रूण जमा किए थे। इसका मतलब है कि यदि दंपति ने सरोगेसी की प्रक्रिया शुरू की है, तो वे इसे जारी रख सकते हैं, भले ही उनकी उम्र कानून में निर्धारित सीमा से अधिक हो। वर्तमान कानून के अनुसार, महिलाओं की उम्र 23 से 50 वर्ष और पुरुषों की उम्र 26 से 55 वर्ष होनी चाहिए।


पिछली तारीख से लागू नहीं होगी आयु सीमा

पीठ ने यह भी कहा कि जिन दंपतियों ने कानून लागू होने से पहले भ्रूण को फ्रीज किया था, उनके लिए आयु सीमा पिछली तारीख से लागू नहीं होगी। अदालत ने स्पष्ट किया कि सरोगेसी प्रक्रिया तब शुरू मानी जाएगी जब गैमेट्स निकाले जाएं और भ्रूण को फ्रीज किया जाए।


केंद्र सरकार की दलील

केंद्र सरकार ने तर्क दिया था कि बुजुर्ग दंपति बच्चों के पालन-पोषण के लिए उपयुक्त नहीं होंगे, लेकिन पीठ ने इस दावे को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि सरकार यह तय नहीं कर सकती कि कौन दंपति माता-पिता बनने के योग्य हैं, खासकर तब जब प्राकृतिक गर्भधारण करने वाले दंपतियों पर कोई आयु सीमा नहीं है।


अदालत की सुनवाई

अदालत ने सरोगेसी एक्ट के तहत पात्रता प्रमाणपत्र जारी करने से संबंधित तीन मामलों की सुनवाई की। पीठ ने कहा कि यदि कोई अन्य दंपति इस निर्णय का लाभ उठाना चाहता है, तो वह अपने क्षेत्राधिकार वाले उच्च न्यायालय में जा सकता है।